ViSomQuotes   (सोमांशु विश्नोई 'मुसाहिब)
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Joined 12 September 2018


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22 JUN 2022 AT 0:39

प्रेम व्रत

मेरा प्रेम! तुम्हारे लिए वृत्ताकार है,
आरंभ से अंत तक...!
किन्तु इसकी चाप;
अधीन है
तुम्हारी प्रेम त्रिज्या के।

(शेष अनुशीर्षक में)

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8 NOV 2021 AT 21:00

कुछ चीज़ें अकारण ही होती हैं शायद
जैसे तेरा मेरे लिए इंतज़ार...है ना!

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1 NOV 2021 AT 20:34

कौन कहता है कि मुहब्बत हुस्न का सुबूत मांगती है,
उसकी सांसों की महक ने हमको इश्क़ सिखा दिया॥

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16 OCT 2021 AT 8:50

A loving woman is the lovely one
When I met you I learnt to love❤️

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6 JAN 2021 AT 10:16

तुम दिन का प्रकाश नहीं,
ना लंबी अंधेरी रात हो।

तुम भोर की सुर्ख लालिमा,
साँझ की मधुर बेला हो।

क्या इस मिलन की उपमा दे सकेगा कोई?
क्या इस संगम को रेखाओं में विभाजित किया जा सकता है?
नहीं...!
तुम ही तो इस सौंदर्य की रचयिता हो।
अत्यंत मोहक, सुगंधित, पवित्र, कोमल, चंचल, अविरल तरल...कह तो सकता हूं तुम्हें; किन्तु तुम इन सबसे परे, अंत:मन के निर्वात मंडल में विचरण करती और कांतिमय हृदय के क्षीरसागर में गोते लगाती सिर्फ एक रूप हो!
तुम "साहिबा" हो - तुम "साहिबा" हो।

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14 NOV 2020 AT 14:34

तुम हो शीतल चाँदनी, तुम चमचमाती सीप हो,
दिन में खिलती धूप तुम, तुम रात्रि का दीप हो।

तुम स्वर्ण आभा की किरण, तुम स्वर्ण-पुष्पी हार हो।
ओ साहिबा तुम ही मेरी, दीवाली का उपहार हो॥

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14 NOV 2020 AT 8:46

तुम हो शीतल चाँदनी, तुम चमचमाती सीप हो,
दिन में खिलती धूप तुम, तुम रात्रि का दीप हो।

तुम स्वर्ण आभा की किरण, तुम स्वर्ण-पुष्पी हार हो।
ओ साहिबा तुम ही मेरी, दीवाली का उपहार हो॥

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14 NOV 2020 AT 8:29

लाख रोशन हों मीनारें, हों आतिशें दीवालियां,
तेरी ज्वाला सी कभी भी ये दमक ना पाएंगी।

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14 NOV 2020 AT 8:20

न किसी की हसरत है, न ठुकराने की है आदत।
इब्तिदा-ए-इश्क़ है और मेरे महबूब की इबादत॥

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15 AUG 2020 AT 18:15

सनम मेरे क्यूँ साथ निभाना छोड़ दिया।
बीच सफ़र में हाथ हमारा छोड़ दिया॥

ज़ुल्म किये तूफ़ाँ ने हमारी कश्ती पर,
और सभी मौजों ने किनारा छोड़ दिया॥

जिस मुखड़े का बसर था मेरी अंखियन में,
अब उसकी तस्वीर बनाना छोड़ दिया॥

इश्क़, मुहब्बत, प्यार, वफ़ा का नज़राना,
इन हाथों हमने अपनाना छोड़ दिया॥

लाख 'मुसाहिब' को तड़पाया उसने और,
तपते सहरा में आवारा छोड़ दिया॥

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