मुझको ना उतारो दिल से मैं तुम बिन नहीं जी पाऊँगा ।चाहत हीं रब है चाहत हीं खुशियाँ दूर नहीं रह पाऊँगा ॥ -
मुझको ना उतारो दिल से मैं तुम बिन नहीं जी पाऊँगा ।चाहत हीं रब है चाहत हीं खुशियाँ दूर नहीं रह पाऊँगा ॥
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मन का शौख मन में हीं रह गया ।जब से वो किसी और की हो गई ॥ -
मन का शौख मन में हीं रह गया ।जब से वो किसी और की हो गई ॥
बेचैन राहों के दो मुसाफिर थे ।एक दिल रख रहा था एक मन ॥ -
बेचैन राहों के दो मुसाफिर थे ।एक दिल रख रहा था एक मन ॥
दिल कि बातें दिल तक पहुँच जाए तो ठीक है ।मन से मन मिले दिल से दिल मिल जाए तो ठीक है ॥बेचैनियाँ ना बढ़े एक दुजे को आजमाने के लिए ।प्यार का फितूर हमेशा के लिए रह जाए तो ठीक है ॥चाहत की आग ना बुझे ये लगी रहे ताउम्र भर ।मिले सुकूनी ठंड़क दिलों तक पहुँच जाए तो ठीक है ॥प्रेम का होना ना होना जिंदगी पर असर करता है ।जिन्हें ना हुआ उन्हें भी हो एक दफा हो जाए तो ठीक है ॥पंछी है मन चंचलता का बहुत अपने आप में शिकार है ।थामकर रखो जीवन में प्रेम ठहराव हो जाए तो ठीक है ॥अजनबी ना रहो जब दो दिल एक हो रहे हो तो यारों ।दिल से दिल मिले आत्मा से आत्मा मिल जाए तो ठीक है ॥ -
दिल कि बातें दिल तक पहुँच जाए तो ठीक है ।मन से मन मिले दिल से दिल मिल जाए तो ठीक है ॥बेचैनियाँ ना बढ़े एक दुजे को आजमाने के लिए ।प्यार का फितूर हमेशा के लिए रह जाए तो ठीक है ॥चाहत की आग ना बुझे ये लगी रहे ताउम्र भर ।मिले सुकूनी ठंड़क दिलों तक पहुँच जाए तो ठीक है ॥प्रेम का होना ना होना जिंदगी पर असर करता है ।जिन्हें ना हुआ उन्हें भी हो एक दफा हो जाए तो ठीक है ॥पंछी है मन चंचलता का बहुत अपने आप में शिकार है ।थामकर रखो जीवन में प्रेम ठहराव हो जाए तो ठीक है ॥अजनबी ना रहो जब दो दिल एक हो रहे हो तो यारों ।दिल से दिल मिले आत्मा से आत्मा मिल जाए तो ठीक है ॥
जीवन भर का सुख-दुख भूलाकर तेरे पास चली आई ।जमाने वालों का ताना बाना मिटाकर तेरे पास चली आई ॥कितनी रोई कितना गिल गिलाई तुम छोड़ गए क्यों याद तुझे मेरी ना आई ।मिटती रही मिटाती रही तेरी यादों को फिर भी तुझे भूला ना पाई ॥ -
जीवन भर का सुख-दुख भूलाकर तेरे पास चली आई ।जमाने वालों का ताना बाना मिटाकर तेरे पास चली आई ॥कितनी रोई कितना गिल गिलाई तुम छोड़ गए क्यों याद तुझे मेरी ना आई ।मिटती रही मिटाती रही तेरी यादों को फिर भी तुझे भूला ना पाई ॥
निर्झर सा बहती जल धारा वो, ठंड़क सी लिपटी काया वो !गुलाब की पंखुड़ियों सी मुलायम वो, व मेरे लिए माया वो !!जीवन की एक अद्भूत कहानी वो, मंद मंद मुस्काती जवानी वो !जीवन की आनंदित रवानी वो, रिमझिम- रिमझिम सा पानी वो !!बलखाती इठलाती जीवन धारा वो, पग पग पर देती सुख सारा वो !जीवन को जो आनंद से भर दे, ऐसी है अमृत जीवन माया वो !! -
निर्झर सा बहती जल धारा वो, ठंड़क सी लिपटी काया वो !गुलाब की पंखुड़ियों सी मुलायम वो, व मेरे लिए माया वो !!जीवन की एक अद्भूत कहानी वो, मंद मंद मुस्काती जवानी वो !जीवन की आनंदित रवानी वो, रिमझिम- रिमझिम सा पानी वो !!बलखाती इठलाती जीवन धारा वो, पग पग पर देती सुख सारा वो !जीवन को जो आनंद से भर दे, ऐसी है अमृत जीवन माया वो !!
बीत गई कि मैं कल फिर आऊँगी !जिंदगी नियती का खेल रीत हैइसे जरूर नित नित निभाऊँगी !! -
बीत गई कि मैं कल फिर आऊँगी !जिंदगी नियती का खेल रीत हैइसे जरूर नित नित निभाऊँगी !!
मिल गए हो आप चेहरे पर मुस्कान आ गई है ।पाँवों में पाजेब है मेरे हाथों में गुलाब आ गई है ॥ -
मिल गए हो आप चेहरे पर मुस्कान आ गई है ।पाँवों में पाजेब है मेरे हाथों में गुलाब आ गई है ॥
हमारे हाथों में है हुनरहम दुनिया के हर चीज बनाते हैं ।मजदूर हैं , श्रमिक हैं और भी बहुत कुछहर तरह की सृष्टि कर जाते हैं ॥ -
हमारे हाथों में है हुनरहम दुनिया के हर चीज बनाते हैं ।मजदूर हैं , श्रमिक हैं और भी बहुत कुछहर तरह की सृष्टि कर जाते हैं ॥
जब चारो तरफ अंधेरा होनहीं दिखे कोई सवेरा होतो मेहनत मंजूषा बन जाता है !और कर्म पूजा बन जाता है !!सृष्टि चक्र चलता रहता हैहर जीव कर्म करता रहता हैकोटि कोटि प्रण मनु सा बन जाता है !और कर्म पूजा बन जाता है !!प्रित लेगे जीवन से जबराह तके कोई अपनो से जबमन की राह अनुषा बन जाता है !और कर्म पूजा बन जाता है !!प्रेरणादायक तो स्वयं का जीवन हैअपने आप में मंगलमय जीवन हैतप की दृष्टि में मन अणु सा बन जाता है !और कर्म पूजा बन जाता है ॥ -
जब चारो तरफ अंधेरा होनहीं दिखे कोई सवेरा होतो मेहनत मंजूषा बन जाता है !और कर्म पूजा बन जाता है !!सृष्टि चक्र चलता रहता हैहर जीव कर्म करता रहता हैकोटि कोटि प्रण मनु सा बन जाता है !और कर्म पूजा बन जाता है !!प्रित लेगे जीवन से जबराह तके कोई अपनो से जबमन की राह अनुषा बन जाता है !और कर्म पूजा बन जाता है !!प्रेरणादायक तो स्वयं का जीवन हैअपने आप में मंगलमय जीवन हैतप की दृष्टि में मन अणु सा बन जाता है !और कर्म पूजा बन जाता है ॥