खुद के हालात को ऐसे, मैं संभाल लेता हूं,
बहुत कमजोर होता हूं, समय तब काट लेता हूं।
लिखता हूं मिटाता हूं, मैं एहसास बहाता हूं,
बहुत सी बातें कहनी हो, तो चुप्पी साध लेता हूं।
सोचता रहता हूं अक्सर, कसर क्या बाकी थी कोई,
और सारा दोष भाग्य पर ही, मैं फिर डाल देता हूं।
जीना सरल हो जाता है, ख़्वाब को दुनिया मानूं तो,
हक़ीक़त को भुला अक्सर, मैं सपने सजाता हूं।
वफ़ा गर ज़िंदगी ना दे, मैं क्यों अपनी वफ़ा तोडूं,
मौत तो कहती है तू आ, मैं हंसकर टाल देता हूं।
-