Vipul   (Musafir-vipul)
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Joined 13 March 2019


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22 JAN AT 1:03

रहेंगे आगोश में तेरे उम्र भर
हिरासत जन्नत की अब हमें मंज़ूर नहीं।

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19 AUG 2022 AT 0:46

गुज़र गए थे तुम जिस गली से कभी ,
ठिकाना आजकल वहीं हमारा रहता है।

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10 APR 2022 AT 21:43

ज़ेहन को नासूर है उनका नाम भी,
और तन्हाइयों का तक़ाज़ा है
कि उन्हें याद किया जाए

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5 JUN 2019 AT 7:21

खुदा से की एक इबादत को मुकम्मल होते देखा है,
मेने एक पंडित को काज़ी के गले लगते देखा है।
थे मसरूफ वो दोनों इंसानियत के रंग में,
मेने वहाँ न कोई हिन्दू न मुसलमां देखा है ।

ईद मुबारक दोस्तों

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11 JAN 2022 AT 23:29

हज़ारों हसरतों की भीड़ में कहीं खो गए हैं हम,
मुक़म्मल तन्हाइयों में भी
अब खुद से मुलाकात नहीं होती।

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7 JAN 2022 AT 19:30

नहीं इश्क़ तो नहीं था उससे , पर
जब भी देखा उसे तो लगा.....
बस एक दफ़ा और

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18 NOV 2021 AT 0:35

एक-एक करके रुसवा कर दिया तेरी यादों को
महज़ ये झूठ बोलने की आदत नहीं जाती।

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14 NOV 2021 AT 17:52

खूबसूरती के सारे पैमाने ख़त्म होते है तुझ पर,
हाय! कितने बदनसीब हैं वो लोग जिन्होंने तुझे न देखा।

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11 SEP 2021 AT 1:19

तमन्ना नहीं उम्र भर की तेरी
एक लम्हा भी मिले गर तो ज़िन्दगी गुजार दूँ।

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2 SEP 2021 AT 9:07

गुजरता है हर सख्श यहाँ एक लम्हे की तरह
लाख आवाज़ दो मगर लौट कर नही आते।

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