विक्रम मिश्र अनगढ़   (विक्रम मिश्र "अनगढ़")
784 Followers · 140 Following

read more
Joined 16 February 2018


read more
Joined 16 February 2018

ग़ज़ल
कैप्शन में

-



नज़्म
कैप्शन में

-



गीत
अनुशीर्षक
में

-



ग़ज़ल कैप्शन में








-



ग़ज़ल कैप्शन में

-



आन खड़े द्वारे प्रीतम, आतुर आलिंगन करने को
संत्रास सकल मिटाने को अरु जीवन चंदन करने को
साँझ हुई , नयनों के आगे, घन रैना है अब सन्मुख
कहार पालकी साथ लिए, मेरा अभिनंदन करने को

अब द्वंद छिपा अंतर्मन में कि, कैसे मिलूँ मैं प्रीतम से
उनके साथ चलूँ स्वयं या, बाहर निकलूं इस तम से
मचा हर तरफ कोलाहल, हर हृद तैयार है क्रंदन को
आन खड़े द्वारे प्रीतम, आतुर आलिंगन करने को

-



हे राम ! तुम्हारे कौशल में
फैली कैसी दुश्वारी है
संकट में है हर एक मनुज
विपदा ये कैसी भारी है

-



शु


हो
ली

-



ग़ज़ल
अनुशीर्षक
में

-



सम्पूर्ण गीत
अनुशीर्षक में

-


Fetching विक्रम मिश्र अनगढ़ Quotes