हसरतों की इस दुनिया में, इक हसरत थी हमारी,
तुम जैसी कोई आए, और बन जाए जाँ हमारी।
सोचते थे मगर, कि हसरतें कहाँ पूरी होती हैं,
ज़िंदगी तो सबकी, यूँ ही अधूरी होती है।
पर खुदा ने आख़िर, मुझे ग़लत साबित किया,
मेरे हाथों में लाकर, जो हाथ तेरा थमा दिया।
अब थामा है हाथ, तो साथ उम्र भर निभाऊँगा,
हाँ! होती हैं हसरतें भी पूरी, दुनिया को ये बताऊँगा।
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