Vijay   (Rv_writes)
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Joined 16 January 2019


Joined 16 January 2019
11 JUL 2022 AT 22:27

काश दूर बहुत दूर चला जाऊँ मैं।

न ज़िन्दगी हो न ज़िन्दगी की कशमकश हो,
ना हो दुख पीड़ा न ही सुख का कोई आसरा हो,
ना हो इच्छाएं कोई ना ही जिम्मेदारियों का बेड़ा हो,
ना आंसू निकले किसी के लिए न ही हँसने का कोई बहाना हो,
न कोई अपना लगे न ही कोई पराया हो,

काश दूर बहुत दूर चला जाऊँ मैं।

न किसी का कहा मानना हो ,न ही किसी को मनाना हो,
ना दिल का सुकून हो ना ही किसी के लिए दिल जलाना हो,
ना नफ़रत हो किसी से ना ही किसी से मोहब्बत का बहाना हो,
ना शक की कोई बात हो ना ही किसी पर विश्वास बनाना हो,
ना ही जाने किसी को ना ही किसी ने हमें पहचान हो,

काश दूर बहुत दूर चला जाऊँ मैं।

ना हो जन्म न मृत्यु की कोई चिंता हो,
ना हो माँ ना ही कोई ओर रिश्ता हो,
ना हो कोई दुश्मन ना ही कोई फरिश्ता हो,
ना हो अकेले ना ही कोई किसी के संग रहता हो,
ना हो किसी का मिलन ना ही कोई किसी से बिछड़ता हो,

काश दूर बहुत दूर चला जाऊँ मैं।
काश दूर बहुत दूर चला जाऊँ मैं।

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11 JUL 2022 AT 22:27

काश दूर बहुत दूर चला जाऊँ मैं।
न ज़िन्दगी हो न ज़िन्दगी की कशमकश हो,
ना हो दुख पीड़ा न ही सुख का कोई आसरा हो,
ना हो इच्छाएं कोई ना ही जिम्मेदारियों का बेड़ा हो,
ना आंसू निकले किसी के लिए न ही हँसने का कोई बहाना हो,
न कोई अपना लगेगा न ही कोई पराया हो,

काश दूर बहुत दूर चला जाऊँ मैं।

न किसी का कहा मानना हो ,न ही किसी को मनाना हो,
ना दिल का सुकून हो ना ही किसी के लिए दिल जलाना हो,
ना नफ़रत हो किसी से ना ही किसी से मोहब्बत का बहाना हो,
ना शक की कोई बात हो ना ही किसी पर विश्वास बनाना हो,
ना ही जाने किसी को ना ही किसी ने हमें पहचान हो,

काश दूर बहुत दूर चला जाऊँ मैं।

ना हो जन्म न मृत्यु की कोई चिंता हो,
ना हो माँ ना ही कोई ओर रिश्ता हो,
ना हो कोई दुश्मन ना ही कोई फरिश्ता हो,
ना हो अकेले ना ही कोई किसी के संग रहता हो,
ना हो किसी का मिलन ना ही कोई किसी से बिछड़ता हो,

काश दूर बहुत दूर चला जाऊँ मैं।
काश दूर बहुत दूर चला जाऊँ मैं।

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5 JUN 2022 AT 13:19

In Love

There are no boundations but both know their limits.
You're free to do things but not that which hurt them.
Change happens but it will not let you to be disloyal.
Thoughts are practical but they come from your emotional intelligence.
You can endure anything but not the thought of leaving each other.

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21 MAY 2022 AT 17:51

किसी की दूरियों में नजदीकियाँ ज्यादा हैं,
किसी की नजदीकियों में दूरियाँ ज्यादा हैं।

चाहत थी कभी उससे मैं न बिछड़ू मगर
मेरी ख़ुद्दारियाँ तो उसकी मजबूरीयाँ ज्यादा हैं।

किया जो कर्म वही किस्मत में पाया
किसी के हिस्से खुशियाँ तो किसी के हिस्से उदासियाँ ज्यादा हैं।

हर एक उम्र का एक अलग ही तजुर्बा है,
बचपन में मस्तियाँ तो जवानी में जिम्मेदारियाँ ज्यादा हैं।

हर कोई शबज़ाद हो कर चाँद से बातें नहीं करता,
किसी का है शौक तो किसी की तन्हाइयाँ ज्यादा हैं।

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16 MAY 2022 AT 12:36

न रहा हक किसी पर गुस्सा दिखाने का,
न रहा हक किसी पर प्यार जताने का।

यह इश्क बीमारी है ही कुछ ऐसी,
दिल के अज़ीज़ पर ही हक न रहा दिल लुटाने का।

गम, खुशी, शिकायतें हर चीज़ बयाँ होती थी कभी,
अब तो समाँ है हाल-ए-दिल को दिल में ही छुपाने का।

वस्ल-ए-यार से ही खुश हो जाता था कोई,
अब तो उसे फुर्सत ही नहीं अपना चहरा दिखाने का।

हमें कोशिशों पर, उसे किस्मत पर बहुत भरोसा है,
हम भी अब कर रहे हैं प्रयास खुदा से जुगाड़ बिठाने का।

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16 MAY 2022 AT 10:35

Those days are very precious when you find your love
At the start you live very happily, create good memories
Promise to never leave each other's side
Important person in each other's life
Giving priority to each other no matter what happened
If you are lucky enough then it will go till your life ends
If not then the memories you create will hurt you till your life stays
You lost your importance, your priority, everything
Starting ignoring you no matter how many efforts you make
At this point you lose him completely
Because ignoring anything always results in failing of efforts

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16 APR 2021 AT 0:25

वाकिफ़ था सारा जहान मुझसे, फ़क़त होने से तेरे
अपने ही शहर में अजनबी हो गये रोज़-ए-जुदाई से तेरे

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4 APR 2021 AT 21:17

शब-ए-वस्ल में चाँद ने चाँदनी को छुपा लिया बादलों से,
ओर तेरे बगैर हमने काट ली रात बड़ी मशक़्क़तों से।

यहाँ मैं ही नहीं जो बेवफाओं को लिए फिर रहा हूँ,
यहाँ सभी का कुछ यूँ है अहवाल इन मोहब्बतों से।

एक शख्स था जिसे मैं कैवल ताकता ही रहा,
मगर था वह अनजान मेरे नजरों के अलामतों से।

हिर्स में आकर दरियाओ को समंदर बनाने चला है,
रख ले कुछ दरिया पास, तिश्नगी नहीं मिटती समुंदरों से।

एक दिन भी न रहा जाता उनकी नज़रों के बिना 'आरवी'
थक सा गया हूँ मैं इन निकाह की रिवायतों से।

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30 MAR 2021 AT 23:13

एक माँ का कर्ज़ माँ बन के ही चुकाया जा सकता है,
लिहाज़ा यह हक भी बेटियों को दिया जाता है।

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28 MAR 2021 AT 0:21

अब साँस जो रुक भी जाये तो क्या होगा,
यहाँ-वहाँ जहाँ देखूँगा वहाँ बस ख़ुदा होगा।

जान सकता है कोई दुनिया के सारे ही असरार को,
मगर न होगी खबर उसे कौन कब कज़ा होगा।

बे-ख़ता होकर सब निकले हैं पाक बनने को,
ख़्वाब-गाहों के जो राज़ खोल दिए जाए तो तमाशा होगा।

हो असर जो हर एक माँ की दुआऔं का,
फिर कौन सा बेटा इस जहान में अदना होगा।

दहन चुप है फिर भी वह सच जान ही जाता है,
अब तो हमें अपने चश्म को भी छुपाना होगा।

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