Vibha Pathak  
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मुस्कुराते रहिये,
Joined 25 August 2018


मुस्कुराते रहिये,
Joined 25 August 2018
5 HOURS AGO

जीने की अवधि पूरी करके
बस गंगा किनारे सो जाऊं।।
जिसको कोई छू ना पाए
वो जली चिता मैं हो जाऊं।।

रग रग में जहां शिव बसे है
वो घाट बनारस मैं कहलाऊं ।।
कि भोरे भोरे अरघ देने
वो अस्सीघाट मैं बन जाऊं,
थाल, कपूर, शंख, मृदंग
वो महाआरती मैं कहलाऊं।।

हर हर महादेव का हो गूंज
कि प्रलय को मैं टरकाऊं
गंगा की प्रवाह के साथ
मैं घाट बनारस कहलाऊं
मैं घाट बनारस कहलाऊं।।

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11 HOURS AGO

आजादी दिल्ली में भले ही मिले
लेकिन सुकून तो बस बनारस में ही मिलता है,

दिल्ली में लाख दंगे फसाद हो ले
मगर बनारस में हिन्दू मुस्लिम सब धर्म साथ साथ रहता है,

राम के गली में गर हो अंधियारा तो रहीम दिया जला जाता है,
हो गर जो मौलवी परेशान यहां तो लाला सबकी लंका लगा देता है।।

बनारस के मुहल्ले में हर भगवान मिल जाते हैं
हो जो मुहर्रम या दीवाली तो साक्षात दर्शन मिल जाते हैं,
ये बनारस है गुरु यहां भगवान और अल्लाह दोनों साथ साथ रहा करते है।।

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YESTERDAY AT 12:22

भी क्या दिन थे
जब कुछ ज़ख्म बस
हल्दी वाला दूध
पीने से ठीक हो जाते थे।।

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YESTERDAY AT 12:09

जो एक नाम से मिले वो सुकुन है बनारस
हार जीत के दायरे को तोड़ सत्य है बनारस
मृत्यु ही जीवन का सार है बनारस।।

मुट्ठी में बंद तकदीर है बनारस
जिसके ना हो हाथ उसका भाग्य है बनारस
बंद आंखों का ख़्वाब है बनारस
खुली आंखों का सार है बनारस!!

सबके लिए एक सवाल है बनारस
पन्ना पढ़ते पढ़ते जिंदगी का उम्र ना गवाना
क्योंकि जिंदगी का सार और सत्य है बनारस।।

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25 APR AT 0:22

खुद से ख़ुद को मिलाता है बनारस
तुम्हीं से तुमको चुराता है बनारस

मिट्टी से है मिट्टी में मिल जायेंगे
ऐसी ही मलकियत तो चाहता है बनारस।।

अजीब सुकुन है जी हम बनारसियों का भी
मरने के बाद ही मुक्ति का मोक्ष दिलाता है बनारस

तमाशों की दुनियां राख है मणिकर्णिका पर
उसी समय सच से सच को रूबरू कराता है बनारस।।

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24 APR AT 10:13

Thankyou

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23 APR AT 12:24

ख्वाहिश थी मेरी बनारस की शाम हो जाऊं
तेरा होके तुझमें नीलाम हो जाऊं।।

बहे जहां से गंगा वो अस्सी का घाट हो जाऊं
तू झमझमाता जाम है गोदौलिया का
मैं तेरी ओट से निकला बनारस की शाम हो जाऊं।।

तू आशीर्वाद है बाबा भैरोंनाथ की गलियों का
जो छू ले मुझे तो गंगा सी पवित्र हो जाऊ
ख्वाहिश थी मेरी बनारस की शाम हो जाऊं।।


VT बनके तेरे इंतजार में परेशान हो जाऊं
आने में हुआ जो तुझे तनिक भी विलंब तो
खुद राजधानी से तेज़ हो जाऊं
ख्वाहिश थी मेरी बनारस की शाम हो जाऊं।। 

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23 APR AT 11:31

देखा था मां को अक्सर पिता जी से मार खाते हुए,
लेकिन आवाज़ किसी ने नहीं उठाई
आज जब होश संभाला तब जाना
यही तो है असली सच्चाई
जो समाज ने है बनाई,
आज फिर एक औरत की बारी है आई....

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19 APR AT 21:58

बह जाने दे इसे दरिया के साथ

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19 APR AT 21:53

खबरों की दुनियां का सच या छलावा

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