Vaibhav Kumresh   (भूमिपुत्र कुमरेश)
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Joined 8 October 2021


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23 FEB AT 20:16

प्रीतम ऐसी प्रीत करो
सो प्रीति प्रीतम होये
जग में प्रीतम आये समाये
सब जग प्रीत सजोये

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21 FEB AT 22:03

तरुवर बिनु जगत में कहीं न शीतल छाँव
राम नामु बिनु जगत में कहीं न प्रीतम ठाऊँ
राम नाम भज ले मन मोरे
पुलक पुलक आनंदित होले

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26 OCT 2022 AT 21:23

राम नाम भज ले मन मोरे
खूब खूब आनंदित होले
राम नाम ही प्रेम प्रकाशम्
राम नाम ही ज्ञान आधारम्
राम नाम ही मधुर शुभाषम्
राम नाम ही अमृतसारम्

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26 OCT 2022 AT 21:21

राम नाम भज ले मन मोरे
खूब खूब आनंदित होले
राम नाम ही संसारसारं
राम नाम ही जगत आधारम्
राम नाम ही करुणावतारम्
राम नाम ही परमपोद्धारम्

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15 SEP 2022 AT 20:35


भाषा मनुष्य को सुसंस्कृत है करती
भाषा मनुष्य मे संस्कार है भरती
भाषा मनुष्य को गरिमामय है करती
भाषा भावों की शुद्धि कर
मनुष्य को आलोकित है करती

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15 SEP 2022 AT 16:15

जो भाव को भाषित करती है
विचार को सुभाषित करती है
वह है भाषा

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14 SEP 2022 AT 21:11

मैं मात्र राष्ट्रभाषा नहीं
माता हूँ|
बच्चों को जीवन दर्शन से सीचती
सुजाता हूँ|
विकृति को हरति
संस्कृति को शुद्ध करती
सुखदाता हूँ,
मैं मात्र राष्ट्रभाषा नहीं,
संस्कृति की जीवंत आत्मा हूँ|
मैं मात्र भाषा नहीं मातृभाषा हूँ!

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14 SEP 2022 AT 19:23

मैं मात्र राष्ट्रभाषा नहीं
माता हूँ,
बच्चों को संस्कार से सीचती
रसदाता हूँ,
अज्ञान के अंधकार को नष्ट कर
ज्ञान का प्रकाश फैलाती महाज्योति हूँ|
भटके हुए जीवन को सवारती
तारण तरिणी हूँ|
मैं मात्र राष्ट्रभाषा नहीं
माता हूँ|

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13 SEP 2022 AT 17:12

जो सोया है
विश्वास उसे जगाते हैं
जो नहीं मिलते किनारे
आओ एक पुल बनाते हैं

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11 SEP 2022 AT 21:14

बिना मानवता के मानव कैसा
बिना मिठास के मिष्ठान कैसा
बिना ज्योति के प्रकाश कैसा
बिना राष्ट्रवाद के राष्ट्र कैसा

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