Uttam Kumar   (©Uttam Kumar)
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Joined 12 May 2020


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Joined 12 May 2020
24 MAR 2023 AT 18:46

संसद ख़ामोश है और सड़कें बेहाल है
ये एक मामूली चाय वाले का क़माल है

अब सड़कें बोल उठेंगी, चिल्ला उठेंगी
टी-शर्ट वाला भी इसी देश का लाल है

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23 MAR 2023 AT 15:18

तुम कौन हो मेरे
ये तो पता नहीं,
फ़िर भी तुम ही सबकुछ हो मेरे
आँखों की नींद, लबो की मुस्कुराहट
दर्द और ख़ुशी सबकुछ हो तुम।

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22 MAR 2023 AT 16:32

कभी कुछ लड़ाईयां हमारी होती थी
अब सिर्फ़ मेरी बन कर रह गयी हैं

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21 MAR 2023 AT 17:29

बिना आँगन के घर नहीं बनता
बिना दहेज़ के वर नहीं मिलता

सींचना पड़ता है पूरी ज़िंदगी
फ़ूल अहले सहर नहीं खिलता

उम्र आँखों में कट रही है यूँ हीं
मंज़िल हैं पर डगर नहीं मिलता

क्यों विवश हो चुकी है ज़िंदगी
भीड़ है पर नगर नहीं मिलता

राज़ की कोई अहमियत नहीं रही
हर बहाव को बसर नहीं मिलता

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20 MAR 2023 AT 15:20

दिल की क़िताब अधूरी रह गयी
बहुत सी बातें भी अधूरी रह गयी

तेरे जाने के बाद इस दिल में मेरे
मेरे मरने की अरमाँ पूरी हो गयी

ख़ाब का क़हर नींद की बयां है
बिन तेरे मैं ज़िंदा अधूरी रह गयी

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19 MAR 2023 AT 18:59

जो कभी रूठ जाऊँ मैं, तो तुम मुझे मना लेना
मुझसे बातें करने की कोई बहाना बना लेना
जो करो कभी Block मुझको
तो लड़ने के लिए ही सही, पर Unblock कर देना
जो कभी रूठ जाऊँ मैं, तो तुम मुझे मना लेना

यही उम्र है, और इसी लम्हे में जीना है मुझे और तुम्हें
मेरे ख़ातिर कहीं से कोई लम्हा चुरा लेना
ये तुम भी जानती हो और मैं भी जानता हूँ
की हमदोनों रह नहीं सकते एकदूसरे के बिना
फ़िर क्यों रूठना, क्यों गुस्सा करना बेवज़ह
कभी गुस्से को भुलाकर, मुस्कुराहट ढूंढ लेना
जो कभी रूठ जाऊँ मैं, तो तुम मुझे मना लेना

कभी जानबूझकर ये गलती भी कर लेना
मेरा No. डायल कर लेना
जो भी हो, पर मेरी साँसें तुमसे ही चलती हैं
गुस्सा, शिकवा, शिक़ायत जो चाहो कर लेना
पर मुझसे कभी दूर न जाना
जो कभी रूठ जाऊँ मैं, तो तुम मुझे मना लेना।

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19 MAR 2023 AT 18:35

आते जाते तुम मेरे रूह से लिपट जाते हो
मेरा सब कुछ मुझ से तुम झपट जाते हो

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19 MAR 2023 AT 15:44

ज़िंदगी एक दिन तुझसे रूठ जाऊँगा मैं
मना न पाओगे तुम मुझ को फ़िर कभी
ऐसी बड़ी गहरी नींद में सो जाऊँगा मैं

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19 MAR 2023 AT 10:27

रातों में झिलमिल तारों के बीच
खिले आकाश में मुस्कुराते हुए
सीने में अपने अदना-सा दिल लेकर
उस दिल में छोटी-छोटी ख़्वाहिशें भरकर
अपनी तमन्नाओं में खुलकर जीते हुए
ख़ुशियों की लहराती पंखों-सी
मद्धम-मद्धम बीतते लम्हों के साए में
कोई आरज़ू समेटे बेमतलब के
मन के गीत होंठो पर लाकर
एक हंसी, एक ख़ुशी-सा है तू
रातों में झिलमिल तारों के बीच
ज़िंदगी जीता हुआ चाँद सा है तू।।

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18 MAR 2023 AT 16:22

तन्हाई के लम्हे तन्हाई में गुज़र गए
दिल के अ'रमाँ दिल में ही रह गए

हुस्न की चाहत में इश्क़ बग़ावत थी
क्या सोचे थे और वो क्या कर गए

कभी भंवर तो कभी गहराई गए
बाहर से शांत हो कर अंदर से बह गए

एक ख़ाब की हुक़ूमत रही मुझ में
नींद आयी ऐसी की हम तो सो गए

पैमाना रूठ गया मुझ से ये देख कर
की हम अपने ही आँसुओं को पी गए

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