Utkalika   ((jaana))
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One life two dream first is social service and second is traveling
Joined 11 February 2020


One life two dream first is social service and second is traveling
Joined 11 February 2020
15 AUG 2023 AT 19:47

उसने ये बोलके तो चला गया
की दुबारा बात ना करना हमसे
पर शब्द तो रुक जाएगी
पर भावना केसे रुकेगी
माना दूरियां तो तुमसे मिलो की
पर दिल की क़रीब हो उतनी ही

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8 MAY 2022 AT 8:51

हर वो शब्द जो तेरी तारीफ में सजे
वो भी कम हे जब कोई तेरी तस्वीर सोचे
हर दिन तेरी जिक्र वो हर घर से आए
नाम अलग हो फिर प्यार तो एक ही बिखरे
ना कोई जादू हे ना ही कोई परी फिर भी
हर उलझन की हल हो तुमसे ही
ना वो मंदिर में सजे ना ही मस्जिद में
फिर भी हर जात उसकी आगे
अपनी सिर झुकाए
वो तो मंदिर की आरती भी और
मस्जिद की नमाज भी , वो हर दिल
की सुकून भी और हर एक की ताकत भी
वो तो एक जिद हे और जुनून भी
हर वो प्यार भी परवाह भी
वो मेरी हर शब्द भी और मेरी पहचान भी
Happy mother's day to all 🙏😊

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1 MAY 2022 AT 13:23

धूप में सब घर में बैठे हे
और वो श्रमिक अभी भी
अपनी पसीना बहा रहा है
और हम आराम में ये बोल रहे
की वो तो मजदूर हे
कभी उनकी मेहनत आजमाती
तो देश की हर मजदूर भी
आज इजत और सुकून की
जिंदगी जी होती और
उनके बच्चे भी तुम्हारी बच्चे की
तरह अच्छी स्कूल में पढ़ रहे होते
ना ही उनकी तरह मजदूर की
जिंदगी जी रहे होते

Respect our workers

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14 FEB 2022 AT 8:35

रास्ते में रुकावट तो आयेगी
इसका मतलब रुक जाना नहीं
रुक ना भी जरूरी है
उस लंबी सफर को पूरी करने केलिए
और उस सपने को भी मत तोड़ ना
जो तुम्हे उस मंजिल तक
तुम्हारी हौसला बनके रहगी

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7 FEB 2022 AT 21:01

अब तो दोस्ती औकात से करना चाहिए और रिस्ते तो हैसियत से बनाना चाहिए
वरना यहा लोगो की कमी थोड़ी ना हे
की तुम्हारी औकात और हैसियत
कितनी हे ये दिखाने केलिए
अब तो रिश्ते क्या दोस्ती भी
करने की औकात ही नहीं रही 🙁😔

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29 JAN 2022 AT 13:31

इतनी सोर हे पर दिल पे कही न कही खामोशी भी हे
जितनी रोशनी हे उस चमकती हुई बंगलो में
इतना ही अंधेरा हे उस शहर के पीछे बसती हुए बस्ती में , कभी निकलो तो उन सड़को पे जहा असली जिंदगी
की पहचान हो पाएगी , जो मुश्किल हे तुम्हारी वो भी
छोटी पड़ेगी उनके सामने कभी इस इंसान की मेहनत पर आई सुखी रोटी और चार साल की पुरानी कपड़े को देख ये सोचना जो जिंदगी तुम्हारी हे वो उनकी जिंदगी से कई बेहेतर हे पर ,एक बात की फर्क हे ये जिंदगी तुम्हारी जिंदगी जेसी नहीं, उन्हे सुभा मजबूर हो के उठाना हे और हम मर्जी के ,उन्हे मेहनत करनी हे और हम मनमानी और उन्हे जो नींद वो सुकून की आती और हम आराम की नींद लेते हे । और कभी घमंड की गुंजाइश हो तो एक बात सोचना ये जो घमंड हे उनकी
मंजिल तो बस उस मिट्टी तक जहा ना कोई सेठ और साहेब और न ही कोई मजदूर और भिकारी । वोही एक स्थान हे जहा आसमान में हो या जमी पर चलने वाला
हर किसिका पहचान एक होता है। ये जो वक्त हे वो तो सबका आता है बस सही वक्त की पहचान में लगा है जिंदगी । और जिदंगी सही मायने जानना हो मिट्टी से तालुक कभी न तोड़ना और कभी जिंदगी की घमंड हो जाए तो यह याद करना जब तुम अमर नही तो तुम्हारी घमंड तो तुमसे जुड़ा हे वो कैसे रह सकता हे ।

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6 DEC 2021 AT 19:53

कोई हालत मेरी पूछे
तो अच्छी बता ती हूं
ये सोच के कोई
मेरी झूठ को पहचान ले
मगर हर वक्त
निराश होकर रहती हूं

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1 DEC 2021 AT 16:51

कोई किसीको कितना चाह सकता
कोई किसीको बेवजह चाह सकता हे क्या
कोई किसीको वे इंतहा चाह सकता हे क्या
कोई किसीको ऐसे चाह सकता
जिसे कोई कभी न चाह हो
कोई किसीको जिस्म से नहीं
सच्ची दिल से चाह सकता हे क्या
कोई किसीको सच में इतना कभी
प्यार कर सकता हे क्या 🙁🙁

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18 NOV 2021 AT 17:27

जिसे कभी पलको पे
सजाए थे आज केसे
जमीन पे गिरा दी
जिसे कभी खुद से
ज्यादा चाहते थे
आज केसे अंजान हो गई
क्या वो वही इंसान हे
जो कल तक तुम्हे अपना
केहकर आज सरे आम
पहचाने की भी इंकार कर दिए
क्या तुम्हे सच में प्यार था
क्या कोई सच में प्यार करने
के बाद इतना नफरत
भी कर सकता है क्या
क्या तुम वही हो जो कल थे
या जो थे वो झूठ था

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25 OCT 2021 AT 19:24

जिंदगी की सफर में इंसान
जिंदगी जीना भूल गया है
ये दिखा वे की जिंदगी में
इंसान रोना भूल गया है
खुद को अंदर में दबा के
दुनिया जो दिखना चाहता
सिर्फ उसको ही निखर रहा हे
अपनी वजूद भूल के
नकाब में जी रहा हे

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