हर आरजू को देते रहे कल का दिलासा,जब कल आया तो आरज़ूएं देने लगी उम्र का तकाजा। -
हर आरजू को देते रहे कल का दिलासा,जब कल आया तो आरज़ूएं देने लगी उम्र का तकाजा।
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इश्क का गुलाबलाल नहीं होता,वो तो होता हैपानी की तरह रंगहीन,जिसे रंगते हैंदो प्रेमी अपनेमिलन के रंग से। -
इश्क का गुलाबलाल नहीं होता,वो तो होता हैपानी की तरह रंगहीन,जिसे रंगते हैंदो प्रेमी अपनेमिलन के रंग से।
चांद की तरह किरदार रखा है तो निखरने में वक्त लगेगा,सूरज थोड़ी है जो निकलतेही चमक जाएं। -
चांद की तरह किरदार रखा है तो निखरने में वक्त लगेगा,सूरज थोड़ी है जो निकलतेही चमक जाएं।
न जाने वो गुलाब सी है या शफ्फाक संगमरमर सी,मगर मैं जरुर फिसला हूं उसकी गुलाबियत सी शफ्फकी पर। -
न जाने वो गुलाब सी है या शफ्फाक संगमरमर सी,मगर मैं जरुर फिसला हूं उसकी गुलाबियत सी शफ्फकी पर।
सुबह सुबह कहती हैं हमसेकि रात का नशा छोड़िए,दिन पर फना होइए,दिन से इश्क करकेरात को ओजस्वी कीजिए। -
सुबह सुबह कहती हैं हमसेकि रात का नशा छोड़िए,दिन पर फना होइए,दिन से इश्क करकेरात को ओजस्वी कीजिए।
अधर पीछे रह गये थे मेरेउसकी मुहर पाने में किउसके उभारों ने पहले चूम लिया मेरे आगोशके आशियाने को। -
अधर पीछे रह गये थे मेरेउसकी मुहर पाने में किउसके उभारों ने पहले चूम लिया मेरे आगोशके आशियाने को।
तकल्लुफ का सलीका ही सीख नहीं पाये हम,और बस इसीलिए मोहब्बत के दर से ठुकराए गये हम। -
तकल्लुफ का सलीका ही सीख नहीं पाये हम,और बस इसीलिए मोहब्बत के दर से ठुकराए गये हम।
अनगिनत डुबकियां उसकी गहराइयों में मेरी,अनन्त सिसकियां उसके अधरों पर नाम की मेरी,हर कतरा उसके अंग का हुकुमत में मेरी,और मेरी हुकुमत पर मुहरें उसके अधरों की। -
अनगिनत डुबकियां उसकी गहराइयों में मेरी,अनन्त सिसकियां उसके अधरों पर नाम की मेरी,हर कतरा उसके अंग का हुकुमत में मेरी,और मेरी हुकुमत पर मुहरें उसके अधरों की।
तुम्हारे जंगलीपन की जमीं बनना है मुझे,जहां पर उकेर सको तुम अपनी सारी झुंझलाहट,ऐसी सूकुन भरी छाती बनना है मुझे। -
तुम्हारे जंगलीपन की जमीं बनना है मुझे,जहां पर उकेर सको तुम अपनी सारी झुंझलाहट,ऐसी सूकुन भरी छाती बनना है मुझे।
उसके उभारों की नज़रों ने चूमा जब मेरी छाती की नज़रों को,हया में झुक गयी नजरें मेरी छाती की और उसके उभारों की नजरेंने अपने चुंबनों की बेहयाई बढ़ा दी। -
उसके उभारों की नज़रों ने चूमा जब मेरी छाती की नज़रों को,हया में झुक गयी नजरें मेरी छाती की और उसके उभारों की नजरेंने अपने चुंबनों की बेहयाई बढ़ा दी।