उम्मीद बदलते देश की   (Abinash Maurya)
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Joined 17 May 2020


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Joined 17 May 2020

वो किसी और के हैं ए दिल,
फिर भी क्यों धड़के तू उनके लिए
वो किसी और से अब करते हैं बातें,
तू अब भी क्यों मरता है उनके लिए
वो तो नजर भी नहीं मिलाते है तुझसे
फिर क्यों तरसता है हमेशा उनके लिए
वो तो तुझे पागल ही समझ बैठे हैं
तू पागल बन बैठा है अभी जिनके लिए

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होंगे तेरे बड़े चाहने वाले, हम उनमें से ठहरे नही
वो क्या आशिक हुए जो मैदां ए इश्क में उतरे नही
मैं करता गर कोई चाहत तो बेहिसाब करता हूं
मेरे दिल के ये हिस्से है,कोई कागज के टुकड़े नही

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दिलों में ख्वाहिशें लब पे ये चाहत का फसाना है ।
तुम्ही से मुस्कुराना है तुम्ही से रूठ जाना है,
ओ मेरे हमसफ़र हमराह दिल में बस तुम ही तुम हो ।
तुम्ही से जीत जाना है तुम्ही से हार जाना है

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ओ मेरी माँ मेरी दुनिया है तेरे आँचल में
तुझे देखूँ तो मेरे दिल को करार आ जाये
तेरी मायूसी मेरे दिल पे सितम ढाती है
तू जो हँस दे मेरे लब पे बहार आ जाए
ओ मेरी माँ मेरी दुनिया है तेरे आँचल में

अकेलेपन में मुझको माँ जो तेरी याद आये
मेरे चेहरे पे उदासी की घटा छा जाए
और तब आँखों मे मेरी अश्क़ नही थमते है
भूख और प्यास ये अल्फ़ाज़ नही जमते हैं
ओ मेरी माँ मेरी दुनिया है तेरे आँचल में

ओ रे इंसान उसे मंदिरों में क्यों ढूढ़ता तू
जो तेरे दिल मे बसी उसको क्यों नही पूजता तू
मुझे एक बात हमेशा से समझ न आये
मुझे हर माँ मेरी माँ क्यों नज़र आ जाये
ओ मेरी माँ मेरी दुनिया है तेरे आँचल में

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हर दिन बोलने के लिए शब्द हों ये जरूरी नहीं
हर दिन कुछ सीखने के लिए हो ये बहुत जरूरी है

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सुधर जा जिंदगी तेरी सलामत कर, सलामत कर
ये अपना देश है इससे मोहब्बत कर, मोहब्बत कर
जो लूटें देश को अपने, जो बेचे देश को अपने
तू अपने देश की उनसे हिफाज़त कर, हिफाज़त कर

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थोड़ी तड़प थोड़ी कसक थोड़ा सा दर्द दे जाओ
थोड़ा सा संग रहलो फिर थोड़ी सी याद दे जाओ
उजाले यादों के तेरे है जब मुझे में रोशनी भरते
मुझे हर शक्स में बस तेरे ही सारे रंग हैं दिखते
अरे ओ नाज़नीन हम पे कभी थोड़ा रहम खाओ
थोड़ा सा संग रहलो फिर थोड़ी सी याद दे जाओ

वफाओं के दिए लेकर के मै अब घूमा करता हूं
तुझे आगोश में लेकर के मै अब चूमा करता हूं
तेरे सदके ये दिल धड़के तकादे करता है
बहुत जलता है दीदार को ये तरसा करता है
कभी तुम चांदनी बनके फलक को मेरे चमकाओ
थोड़ा सा संग रहलो फिर थोड़ी सी याद दे जाओ

सुरूर ए इश्क का मुझ पे हुआ कुछ है असर ऐसा
लगे कमबख्त हरजाई मुझे सारा शहर जैसा
नहीं जब तू मिली फिर खाली रातें क्यों मिली मुझको
तेरी यादों की बरसातें भी तो हैं कम मिली मुझको
नई फिर से उमंगे भर नया आगाज कर जाओ
थोड़ा सा संग रहलो फिर थोड़ी सी याद दे जाओ

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कभी आओ ना मिलने तुम, तुम्हे वो बात कहना है
कहीं जाना नहीं फिर तुम, तुम्हारे साथ रहना है
मेरी दुनिया में आ जाओ मै हर वादा निभाऊंगा
तुम मेरे नाम हो जाओ, तुम्हे दुल्हन बनाऊंगा
कभी आओ ना मिलने तुम, तुम्हे वो बात कहना है
कहीं जाना नहीं फिर तुम, तुम्हारे साथ रहना है

बसर तुझ बिन कहां अब है, सुकून तुझ बिन कहां अब है
तू ही मेरा जहां सारा, तू ही तो बस मेरा रब है
जुदा होके कभी मै दूर तुमसे रह ना पाऊंगा
मै साया हूं तेरा हर वक्त तेरे पीछे आऊंगा
कभी आओ ना मिलने तुम, तुम्हे वो बात कहना है
कहीं जाना नहीं फिर तुम, तुम्हारे साथ रहना है

तू ही तो है मेरी मंजिल, तुझीसे सब मुझे हासिल
अभी तक दूर तू क्यों है, क्या मै तेरे नहीं काबिल
सितम जितने भी हो वो हंसके सारे सह मै जाऊंगा
तुझे पाने की कीमत जो हो कीमत वो चुकाऊंगा
कभी आओ ना मिलने तुम, तुम्हे वो बात कहना है
कहीं जाना नहीं फिर तुम, तुम्हारे साथ रहना है

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मेरी आशिकी में मेरी मौसिकी में
मेरी जिंदगी में शामिल तू ही है
मै हर एक कदम बस तन्हा चला हूं
मेरी राह में एक मुसाफिर तू ही है

मेरी करवटें करती रहती शिकायत
मेरी बांहों को बस तुझी से है राहत
सर्द है हवाएं कर रही है शरारत
लगा लो गले कर दो इतनी इनायत
मेरी दिल से निकले जो दुआ तू वही है
मेरे दर्द ओ गम की दवा एक तू ही है
मेरी आशिकी में, मेरी मौशिकी में
मेरी ज़िंदगी में शामिल तू ही है

ये दुनिया है दुनिया तो करेगी बगावत
हम न डरेंगे करेंगे मोहब्बत
यही है दुआ बस यही एक चाहत
जुदा हम न हों चाहे आये क़यामत
मेरे ख्वाब मेरी अमानत तू ही है
सजा सह रहा हूं जमानत तू ही है
मेरी आशिकी में, मेरी मौशिकी में
मेरी ज़िंदगी में शामिल तू ही है

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लबों पे है हंसी और आंखों में मेरे जो पानी है
सनम ये सब तेरे ही प्यार की ही तो निशानी है
न जाने क्या क्या तेरे इश्क़ में कीमत चुकानी है
नहीं कुछ याद मुझको, याद बस तेरी कहानी है

न जाने कितने मैंने इश्क के कारवां सजाए है
तेरे आने से पहले फूल राहों में बिछाए है
तेरी तस्वीर दिखती है ये जब पलकें झपकती है
तेरी यादें मेरी परछाई बनके साथ चलती है
लगी है आग कबसे सीने में इसको बुझानी है
सनम ये सब तेरे ही प्यार की ही तो निशानी है

कभी जो खत्म न हो एक ऐसी रात होती वो
सुबह जब जब खुले मेरी आंख तू मेरे पास सोती हो
खता गर हो मेरी जब भी तेरा गुस्सा मै सह लूंगा
आए जो आंख में आंसू तुझे बाहों में भर लूंगा
यही सपना मुझे हर रात मुझको अब दिखाती है
सनम ये सब तेरे ही प्यार की ही तो निशानी है

ख़ुशी के आएंगे मौसम तेरा दीदार जब होगा
लिपट कर रो लूंगा तुझसे तू मेरे पास जब होगा
तू जब भी हंसती है खुलकर या मुझको याद करती है
तू बस मेरी है मेरी धड़कनें ऐलान करती है
मुझे तो बस तेरे होठों पे अब खुशियां सजानी है
सनम ये सब तेरे ही प्यार की ही तो निशानी है

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