Uma Sailar   (uma_likhti_hai)
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I am Uma Sailar ...with my Poems and more
Joined 2 September 2020


I am Uma Sailar ...with my Poems and more
Joined 2 September 2020
3 MAY 2022 AT 9:24

”बुढ़ापा "

एक वक्त मेरा भी था
मैं भी जब खुद्दार था
खुद में,
खुदपर नाज़ मुझे था
आलम – ए जबानी जो था
पर आज बुढ़ापा सर चढ़ आया
रेखाएं ये सिकुड़ी जाए
न बेटा – बेटी का साथ
फिरता गिरता – पड़ता बाप
नया ज़माना नए रिवाज़
सब करते मतलब से बात
नहीं खुलते मदद– ए किबाड़
सब लगता है मुझे कबाड़,
ज्यों – ज्यों उमर ये;
ढलती जाए
बदला जाए सबका सब रे
भूख मिटाने के खातिर
खैरात की खानी जारी है
जो कल आफिस का मालिक था
आज रास्ते का भिखारी है ।।

रचनाकार : उमा सेलर
साभार : उमा लिखती है

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5 AUG 2021 AT 11:23

तुम बोलते नहीं बिट्टू

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2 AUG 2021 AT 23:19

ग़म 😥को खुशी 😊
धूप😳 को छाव 😇
नमी😭 को हंसी 😂
गलती 🤯🙄को मजाक🤫🤗🤣
अधूरे 🌛को पूरा🌝
बनाता है वो 🤠
दोस्त 🤝 है🤞
ना मन 💞की बात भी
☺️जान 😊जाता😘 है वो

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14 OCT 2020 AT 16:05

Meri rahate bhi
Mili tujhme
Ab to ham bhi nhi
Khud me

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12 OCT 2020 AT 18:01

क्या तुम ...हो

चाहें भले लाखों निगाहें तुमसे कहें तुम काबिल नहीं हो..
पर अपनी निगाहों में अपने लिए हमेशा इज्जत का सैलाब रखना...
कोई भला कितनी भी बार गलत तुमको बोले....
अपने पर हमेशा विश्वास रखना....
लोग छोटी बातों को बड़ा कर बताते हैं...
लोगों से दूरी तुम रखना...
आंसू का तालाब संभाल कर अपने पास रखना..
कभी किसी से आशा नहीं....
बस खुद से ही उम्मीद रखना....
तुम्हारा जो दिल कहे ...
वह पहली बार और दिमाग की दूसरी बार करना...
तुम जिनके लिए रोते हो ...
उनका जहां आवाज रखना....
अपने दिल को नाजुक नहीं थोड़ा कठोर करके रखना...
यहां काम करना आसान नहीं है...
जी हजूरी में सिर हिलाते रहना...
क्या तुम....हो ??
यह सवाल खुद से करते रहना!!




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10 OCT 2020 AT 21:08

मेरी तीखी सच्ची बातें

अभी क्या तुम हो जानते ?
क्या पाना क्या खोना है ?
सही क्या गलत कौन है ?
क्या कीमती और क्या तुच्छ समान ?
कहां नकल और कहां ज्ञान ?
अनजान कौन है किससे पहचान?
शैतान और भगवान कौन?
अभिशाप क्या वरदान क्या ?
किससे भावना संतोष कौन ?
अभी क्या तुम हो जानते?
क्यों रास्ते मंजिल नहीं ?
कूड़े का पात्र क्यों भरा नहीं ?
झोली गरीबों की खाली हमेशा ?
धन से घर भरा हमेशा अमीरों का !
खोज क्या आविष्कार क्या ?
लोगों को रोजगार नहीं !
न प्रयास विकास न ही विकास ?
सपने हजार सिमटी हैं राहें ?
हां यही मेरी तीखी सच्ची बातें !

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21 SEP 2020 AT 11:15

"छोटी चपाती"
छोटी - सी चपाती, चपाती छोटी-छोटी;
खाना मुझको रोटी बना दो मोटी-मोटी
कच्ची-कच्ची केरी, तीखी तीखी मिर्ची;
जल्दी-जल्दी पीसो बना दो चटनी जल्दी,
छोटी -सी चपाती, चपाती छोटी-छोटी,
खाना मुझको रोटी बना दो मोटी-मोटी,
होले - होले न हाथ घुमाओ;
घुमाओ जल्दी-जल्दी,
छोटी - चपाती चपाती छोटी-छोटी,
खाना मुझको रोटी; बना दो मोटी-मोटी,
गोल- गोल बनाना न बनाना आड़ी - तेड़ी, बढ़िया-बढ़िया बेलो; न बेलो टेढ़ी-मेढ़ी,
छोटी-सी चपाती; चपाती छोटी - छोटी,
खाना मुझको रोटी; बना दो मोटी - मोटी,
ध्यान से तुम सेको, न इसको जलाओ,
देखो काले - काले दाग न बढ़ाओ,
छोटी-सी चपाती; चपाती छोटी - छोटी,
खाना मुझको रोटी; बना दो मोटी - मोटी,
फूली-फूली सेको; न इसको दबाओ,
चपाती है मेरी, प्यार से बनाओ..
छोटी- सी चपाती; चपाती छोटी-छोटी,
खाना मुझको रोटी; बना दो मोटी-मोटी,
लाओ मेरी प्यारी इसे उसमें सजाओ,
तीखी- तीखी चटनी इसमें दबाओ,
छोटी - सी चपाती; चपाती छोटी - छोटी,
खाना मुझको रोटी; बन गई रे मेरी रोटी।।।।

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19 SEP 2020 AT 8:49

⭐ Star Light⭐
Oh! Star Light...
Slow please slow,
I want you stay here,
Stay please stay....
I want you live here,
Oh! Star Light...
Live please live....
I want to see you always👀
I love you💛
Please wait for me,
I am a child but you are not; Please forgive me ;
If made mistakes,,,
Oh! Star Light...
Slow please slow,,,,
Don't behave like wind.

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4 SEP 2020 AT 6:44

यादों की दास्तान

हम दो और चप्पल एक जोड़ी होती थी*
वो दिन भी क्या दिन थे*
जब टीचर तो एक पर डांट हजार होती थी*
तारों के नीचे खाट और फिर अचानक बरसात होती थी*
हम दो और खाने की थाली एक होती थी*
स्कूल की छुट्टी होते ही*
घर पहले पहुंचने की रेस होती थी*
हम दो और नजरें अनेक होती थी*
दिवाली पर मेरा रॉकेट तो तेरा अनार होता था* और जमीन की चकरी दोनों के पास होती थी* बाजार में गोलगप्पे का स्टॉल*
तेरे मेरे जाने से ही मशहूर होता था*
पता है ना किस्सों का बोरा बड़ा भारी होता था* क्या याद है तुझे मेरे लंच का टाइम*
तेरे नमाज की वजह से ही लेट होता था*
क्योंकि तेरे टिफिन का खाना लाजबाव होता था*
मेरी बाइक पर तू और तेरी पर मैं सवार होता था*
फिर लंबा सफर तेरे संग यार होता था*
सोचकर तेरे बारे में ताजा हो लेता हूं*
बड़ी से बड़ी मुश्किल भी हंसकर टाल देता हूं* काश ऐसा भी होता*
हम दो नहीं तो एक भी जिंदा ना होता*
तो शायद गम हमें ज्यादा ना होता*

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3 SEP 2020 AT 9:04

दिल में हमने लाखों बातों को दबा रखा....
पर तेरे लिए किताब चिन्हित शब्दों को किया...

तुझको पढ़े जब भी बस हृदय प्रफुल्लित हो जाए....
मन के इस घरौंदे में पुष्पों की वर्षा हो जाए....

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