नादान ही तो था मैं
अब तो माफ़ कर दे,
गरम ख़ून और बेचैन इरादों को
अब तो रास्ता दिखा दे।
क्या नाराज़गी थी ऐसी
कि दोस्ती ही तोड़ ली
साथ देने की उम्र में,
साँस लेना ही छोड़ दी।
मेरी उम्र से ज़्यादा तेरा तजुरबा था,
यह कैसे भूल गया मैं?
तेरे हाथों में बड़ा हुआ मैं,
यही तो तेरा बड़प्पन था।
नादान ही तो था मैं,
अब तो माफ़ कर दे
माफ़ी तो माँग रहा हूँ मैं,
अब तो रास्ता दिखा दे।
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