मां तेरे आंचल का प्यारा है बड़ी मुश्किल में ,
खोजता है हल मगर न सूझता दिल में ।
तेरी ममता की जादुई वो मेरी चादर ,
ओढ़ कर जिसको मैं कर लूं पार हर सागर ...
है जरूरत हाथ की जो सर पे मेरे थे ,
रात चाहे हो घनी पर नए सवेरे थे...
क्या हुआ जो अब खत्म सा हो गया वो कल,
ना मिली मंजिल मुझे न बीता हुआ पल...
-