Thakur Rajpoot   (~ आसेंद्र Rajपूत)
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ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
Joined 13 October 2020


ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
Joined 13 October 2020
19 APR AT 19:00


तुम रंग हो हर आशा का,
तुम रंग हर उम्मीद का,
तुम रंग हो हर भाषा का,
तुम रंग हर एक ख्वाहिश का।

तुम चलो साथ, संवाद बने,
संवादों से कविता बने।
साथ हो तो मेरी दुनिया थमे,
और नित नए आयाम बने।

तुम हो तो आनंदित हर क्षण है,
जो नहीं साथ, बेरंग सब रंग है।
तुम हो तो मधुरिम ये सफर है, |
तुम नहीं तो जीवन कहाँ जीवन है?

तुम से ही ये सब रिश्ते हैं,
तुम से ही हैं सारे नाते।
तुम से ही ये दिन ढलते हैं,
और कटती हैं सारी रातें।

देखो तो, कितना कुछ लिख बैठा हूँ तुम्हारे लिए,
पर इतना कुछ लिखना भी तुम्हारा वर्णन नहीं हो सकता..!

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19 APR AT 18:54


एक अतुलित अनुभूति होती है,
जब कोई तुम पर पूर्णतया न्योछावर हो,
तुम से ही उसके सारे दिन,
और उसका हर एक पल हो।
तुम्हारे ही बारे में, सोचे वो दिन और रात,
उसकी हर बात से जुड़ी हो बस तुम्हारी बात।

यदि ऐसा, कोई कभी, आ जाये तुम्हारे जीवन में,
तो ठहर, पकड़ लेना उसका हाथ, ठीक उसी, एक क्षण में। क्यूंकि जो वो गया कभी, तो वापस फिर ना आयेगा,
और उसकी भांति फिर तुम्हें, और कोई ना चाहेगा।

सच मानो, जब वो तुम्हारे अलावा,
किसी और को महत्व देने लगेगा,
तब तुमको अपना ही जीवन,
बे-मानी सा लगने लगेगा।।

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2 JAN AT 8:21

कृष्ण.....

कितना अजीब है न!
कृष्ण जिसे नहीं मिले, युगों युगों से आज तक उसी के हैं,
और जिसे मिले उसे मिले ही नहीं।
तभी कहते है, कृष्ण को पाने का प्रयास मत कीजिये।
पाने का प्रयास कीजियेगा तो कभी नहीं मिलेंगे।
बस प्रेम कर के छोड़ दीजिए,
जीवन भर साथ निभाएंगे कृष्ण ।
कृष्ण इस सृष्टि के सबसे अच्छे मित्र हैं।
राधिका हों या सुदामा, कृष्ण ने मित्रता निभाई तो ऐसी निभाई कि इतिहास बन गया।
मनुष्य को... कुछ न कुछ तो छूटता ही रहता है।
जितनी चीज़ें कृष्ण से छूटीं उतनी तो किसी से
नहीं छूटीं।
कृष्ण से उनकी माँ छूटी, पिता छूटे, नंद-यशोदा भी छूटे।
संगी-साथी छूटे।
राधा छूटीं। गोकुल छूटा, फिर मथुरा छूटी।

कृष्ण से जीवन भर कुछ न कुछ छूटता ही रहा।
कृष्ण जीवन भर त्याग करते रहे।
हमारी आज की पीढ़ी जो कुछ भी छूटने पर टूटने लगती है। उसे कृष्ण को गुरु बना लेना चाहिए।
जो कृष्ण को समझ लेगा वह कभी अवसाद में नहीं जाएगा।
कृष्ण आनंद के देवता है।💖

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5 JUL 2023 AT 8:40

कौन हूँ मैं?
अक्सर खुद से मैं ये सवाल करता हूँ,
कौन हूँ मैं?
कोई कश्ती हूं या
किसी का साहिल हूँ!
कोई राही या किसी की मंजिल हूँ?

पाना चाहता हूँ किसी को
या किसी को हासिल हूँ!
छूट रहा हूँ खुद से
या किसी में शामिल हूँ?
कौन हूँ मैं?

कोई सवाल हूँ या
खुद में एक जवाब हूँ!
कोई कहता है अच्छा और
कोई कहता है खराब हूँ?
तुम ही बोलो अब, कौन हूँ मैं?

किसी का प्यार या
सिर्फ प्यार की निशानी हूँ!
कोई अधूरी दास्तान या
एक मुकम्मल कहानी हूँ?
कौन हूँ मैं?

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5 JUL 2023 AT 8:37

कौन हूँ मैं?
अक्सर खुद से मैं ये सवाल करता हूँ,
कौन हूँ मैं?
कोई कश्ती हूं या
किसी का साहिल हूँ!
कोई राही या किसी की मंजिल हूँ?

पाना चाहता हूँ किसी को
या किसी को हासिल हूँ!
छूट रही हूँ खुद से
या किसी में शामिल हूँ?
कौन हूँ मैं?

कोई सवाल हूँ या
खुद में एक जवाब हूँ!
कोई कहता है अच्छा और
कोई कहता है खराब हूँ?
तुम ही बोलो अब, कौन हूँ मैं?

किसी का प्यार या
सिर्फ प्यार की निशानी हूँ!
कोई अधूरी दास्तान या
एक मुकम्मल कहानी हूँ?
कौन हूँ मैं?

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19 JUN 2023 AT 20:58

तुम्हारी हर साँस कुछ तो कहती है.....
मोहब्बत तो तुमने भी, कुछ गहरी की है....
वर्ना जब भी रूबरू हुआ तुमसे, तो लगा ऐसा कि,
यूँ ही भरी धूप में बादलों की छाया न होती ....
यूँ ही बिन मौसम तेज़ हवाएं और
आसमान की आँखो से बारिश न होती ....
तुम्हारी हर साँस कुछ तो कहती है....
तुम्हारे दीदार से ही मेरी तृष्णा तृप्त होती है.....
तुम्हारे छूते ही मेरी हर रूह चीख कर कहती है,
"तुम सुकून दे रही हो",
"तुम राहत दे रही हो",
"तुम मलहम लगा रही हो",
"मेरे दिल के सभी ज़ख्मों को भर रही हो",
"हर कोशिश से तुम अपने अधूरे प्यार को
शिद्दत से पूरा कर रही हो।"
ज़हन से लेकर जिस्म तक
हक हैं तुम्हारा मुझ पर.....
जो हार गया था तुम पर मैं...
अब जीत रहा हूँ हर पल....
और हर धड़कन धड़क रही है.....
बारिश जैसे झूम कर गा रहा है दिल,
"AR, तेरा इश्क हुआ मुकम्मल..."

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19 JUN 2023 AT 14:52

मेरी जीतने की दुआ मत माँग मुरशद,
मैं जीता तो सारा जहान हार जाएगा!!

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12 JUN 2023 AT 21:11

आज फिर मैंने अपनी एक कविता तेरे नाम की है।
तेरे थिरकते हुए होंठों पर अपने नाम की मुस्कान,
छुपाते हुए तेरी मोहब्बत सरेआम देखी है।
आज फिर मैंने अपनी एक कविता तेरे नाम की है।
ज्यादा चौंकना मत अगर वो चाँद तुझे तेरे नाम से पुकारे,
क्योंकि हर रात उसे तेरी कहानियाँ सुनाया करता हूँ।
तेरी यादों मे रात गुज़ारते-गुज़ारते तन्हाई देखी है।
आज फिर मैंने अपनी एक कविता तेरे नाम की है।
वो चाँद का छुपना और तारों का निकलना
मानो जैसे कितनी मोहब्बत हो उनमें मगर एक वक़्त है,
जो उन्हें हर बार मिलने से अलग कर देता है।
आज फिर मैंने अपनी एक कविता तेरे नाम की है।
तेरे रूठने पर तुझे मनाते -मनाते,
अपने गुरूर को सरेआम निलाम होते देखा है ।
तेरी एक आहट को अपनी कायनात समझके,
आज फिर मैंने अपनी एक कविता तेरे नाम की है।

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8 JUN 2023 AT 16:09

जब वो रूठ जाता है......

मुझे अच्छा लगता हैं जब वो रूठ जाता है,
शक्ले बना टेढ़ी-मेढ़ी फ़िर धीरे से मुस्काता है,
जो ना मनाओ तो बार-बार याद दिलाता है,
बात नहीं कर रहा कह कर सौ बातें कह जाता है,
मुझपर मुझ से ज्यादा वो अपना हक़ दिखाता है,
मुझे अच्छा लगता हैं जब वो रूठ जाता हैं....!

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5 JUN 2023 AT 0:52

धीरे-धीरे आख़िरकार अब सब कुछ
मौसम के मुताबिक़ हो रहा है।
जून लगने वाला है, हल्की हल्की
बारिश भी होने लगी है।
शाम का सूरज अब थोड़ी देर से डूबता है।
और तापमान उतना है जितना इस समय होना चाहिए।
सूरज को चमकने से रोकने वाला अब कोई नहीं है।
सूरज ढलने और चाँद के उगने के बीच में
एक अंधेरा होता है, जो मुझ में बचा हुआ है।

ख़ैर!
सबसे सुंदर कविताएँ हमेशा सबसे ज़रूरी हिस्से के बिना लिखी जाती हैं।
सबसे सुंदर प्रेमिकाएँ हमेशा सबसे नालायक लड़कों को मिली हैं।
शायद प्रेम की पूर्णता नाकामी से ही सम्भव है।
लेकिन मेरा अँधेरापन और मेरी सारी नाकामी
मैं एक दस्तावेज की तरह तुम्हारे लिए लिखता आ रहा हूँ।
मानो तुम्हारा स्पर्श मुझे बना देगा सफ़ल और मिल जाएगा मुझे कुछ वापस जो छूट गया था कहीं उसी बुरे मौसम में ।

जानती हो
बहुत लिखने वाले प्रेमी एक उम्र के बाद चुप हो जाते हैं।
उन्हें अपने जीवन का इंतज़ाम कविताओं के बाहर करना होता है।
वे जितना लिखते हैं, उतने ही कम प्रेमी होते जाते हैं।
फिर आप उनके चेहरे नहीं
बस उनकी स्मृतियाँ याद रखने की कोशिश करते हैं। कभी-कभी प्रेम नहीं बस आवाज़ें ठहरती हैं
जिनका शोर बस एकांत में होता है।

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