दुनियादारी में उधारी अब अच्छी नहीं
हर बार सिर्फ सेवादारी अब अच्छी नहीं
पता है दे दोगे खाओगे नहीं भाई
पर रोज-रोज ये मगजमारी अब अच्छी नहीं
जिंदगी चार दिन की , दो दिन रुको भाई
शब्दों में ये होशियारी अब अच्छी नहीं
वादा करके देने का और फिर पलट जाना
किरदार में ये कलाकारी अब अच्छी नहीं
भूख लगी हो और प्रवचन से गुजारा करना पडे
ऐसी घोड़े और घास की यारी अब अच्छी नहीं
एक बार ईमान टटोलकर भी देख लो अपना
सिर्फ अच्छे दिनों में हिस्सेदारी अब अच्छी नहीं
सारे काम छोड़कर बस वसूली के ख्वाब देखो 'तेज'
ऐसी भी रात दिन बेकारी अब अच्छी नहीं
- TEJ @लेन-देन #दुकानदारी #ईमानदारी
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