Taufique Ali Khan Mokashi  
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Joined 7 July 2020


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तेरी जिंदगी का दिया मैने कभी ना बुझने दीया
उसकी लौ को बचाने मे अपने हाँथो को जला दीया

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तेरे काम ना आ सके तो ये वजूद किस काम का
तेरे सिवा कुछ बन जाऊँ तो रहूँगा मैं बस नाम का

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मराठी शाळेतला मराठी चा तास

गुरुजी:- मुलान्नो काल आपण जोडाक्षरे शिकलो. चला तर एक एक उदाहरण द्या.
चिंटू:- श्वापद (श+व=श्व)
गुरुजी:- बरोबर, खूप छान
पिंटू:- पुस्तक (स+त=स्त)
गुरुजी:- व्वा खूप छान
मी:- खडक
गुरुजी:- मूर्खा खडकात जोडाक्षर कुठे आहे
मी:- नीट बघा (र+व=ख)
गुरुजी कोमात शाळेला ३ दिवस सुट्टी 😂😂

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मेरी राहों मे फुल नही कांटे बिछाके रखना
और हो सके तो कांटे भी सजा के रखना

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फुल ना बन पाओ तो काँटा जरूर बनना
मैने कभी काँटों को मुरझाते हुए नहीं देखा

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कैसे कँहा जाऊं के कोई रास्ता मुझे अपनाता ही नही
जिस को अपना समझा वो रास्ता तो कंही जाता ही नहीं

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बेवजहा हँसते और हँसाते रेहते हों
अपने ग़मोंको मगर दिलमे छुपाए रेहते हों
साहिब-ए-अदा-ओ-फनकार हो मगर
हमारी नज़रों कँहा कुछ छुपाए रेहते हों

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शोलों से नहीं शबनम से मगर शिकायत हैं
जो छालेपड़े हैं पाओंमे ये इनकी ही इनायत हैं
काँटों से नहीं कलियों से मगर शिकायत हैं
जो जख्मलगे हैं हाथोंमे ये इनकी ही बदौलत हैं

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तेरे सारे राज़ आशकार करदेता
तेरी ख़ामोशी को बा-जुबान करदेता
तेरी सादगी का लिहाज ना होता गर
मैं तेरी माँग सितारों से अभी भरदेता

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हमको रूठना और उनको मनाना नही आता
बहाने बहोत हैं नया बहाना बनाना नही आता
जाएका-ए-जिंदगी बिगड़ने देर कँहा लगती हैं
कभी रूठकर तो कभी मनाकर बनाया जाता हैं

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