Tanya Srivastava  
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अपने बारे में मैं चाहे जितना भी बता दूं, जज तो फिर भी आप अपनी सुविधानुसार ही करेंगे।
Joined 27 July 2020


अपने बारे में मैं चाहे जितना भी बता दूं, जज तो फिर भी आप अपनी सुविधानुसार ही करेंगे।
Joined 27 July 2020
21 MAR 2023 AT 23:29

समर्पित करती हूं ये कविता मैं उसके नाम
जिसका नाम लेने से ही हो जाता मेरा श्रृंगार।।
जिसके बारे में सोचती रहती मैं सुबह ओ शाम
आकर जिसपर खत्म होती मेरी हर एक खुशियां तमाम।।
है उससे प्रेम इतना
जितना था राधा को कृष्ण से प्यार
झगड़े कर लिए उससे हज़ार पर
नही बता पाई उन झगड़ों के पीछे मेरा छुपा प्यार।।
साथ बीते उसके संग जितने पल, रहे वो मेरी जिंदगी के सबसे खुशनुमा साल
अब तो हालात ये है न वो है, न हो रही उससे हमारी बात।।
हां अब यही है इस रिश्ते की सच्चाई के उसे याद कर काट रही मैं अपनी जिंदगी के अब दिन रात।।
के इससे ज़्यादा अब मैं क्या ही कहूं
जीने का बन बैठा है वो एक शख्स मेरा आधार
के भूल के भी न भूल पाई उसे
है उससे प्रेम अनंत अथाह अपार।।

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10 MAR 2023 AT 16:38

कुछ कहानियां अधूरी छोड़ जा रही हूं
हां तुम्हारी खुशी की खातिर अब मैं तुम्हे खुद ही छोड़ जा रही हूं।
तुम्हारे दिए आसूंओ को तो सह भी लेती मैं
तुम्हारी नाराज़गी पर नही सह पा रही हूं।
साथ देने का वादा की थी ताउम्र
आधे रास्ते से ही लौट जा रही हूं।
ये मत समझना की तुम्हारे फिक्र से बेफिक्र हो गई मैं
तुम्हारी ही यादें तुम्हारी ही बातें अपने संग लिए जा रही हूं।
यकीं मानना तुमसे अलग होना मेरे लिए आसान नही
बहुत मुश्किल काम मैं ये किए जा रही हूं।

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28 JAN 2023 AT 20:09

आखरी खुशी लिखूंगी तुम्हे अपने इन
आंखों से बहते पानी में
हां उस कहानी में
जो मशहूर सी हो गई
बिन पढ़े लोगों की जुबानियों पे।
कोई किसी से इस युग में कैसे कर पाया है निश्चल प्रेम
इस बात पे उठती हर सवालियां निशानियों पे..
मिसालें दी जाएं जिनकी युगों तक
ऐसी अनंत एकतरफे प्रेम कहानी में।
खुशी लिखूंगी तुम्हें अपनी
हर लफ्जों की रवानी में
जो कह के भी कभी न कह पाई तुमसे
अपनी उन सारी अनकही कहानियों में।।

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24 JAN 2023 AT 22:51

मुकम्मल नही होनी चाहिए कुछ कहानियां और अधूरी रह जानी कुछ कविताएं...
के पढ़ने वालो को भी पता चले लेखक के मन की पीड़ाएं!!
वो ज़ख्म जिसपे उसने महरम़ न लगाया
हर दिन कुरेदा और कागजों पर उकेरा..
किसी की आह में किसी की चाह में
के तौलता रहा वो अपनी अहमियत उम्र भर किसी की निगाह़ में...
और फिर हज़ार कविताएं रचकर उसने अंत में छोड़ डाली एक कविता अधूरी
के पढ़ने वाला भी ये जान सकें उस लेखक के लिए रहा था कोई कितना ज़रूरी।।

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19 JAN 2023 AT 22:45

अब तुम्हारी याद बस है
दिल तुमसे नाराज़ बस है।
क्यूं गई तुम मेरे बिना?
आज तुमसे यही सवाल बस है।
छोड़ के तो मुझे ऐसे न जाना था
खुशियां, रौनकें तुमसे थी मेरी, तुम्हे भी तो पता था न।
दरवाज़े पर खड़ी रोती रह गई मैं
क्या मेरे आंसू तुम्हे दिखा ना था?
कहती तो थी तुम मुझको
मेरे बिना तुम कही नही जाओगी..
फिर मुझे भी तो साथ अपने फिर ले जाना था।
जिंदगी तुम्हारे बिना अब बस कट रही
जिया तो मैंने जिंदगी तुम्हारे छांव तले ही था।
सुन आकर ले चल अब मुझे भी साथ
तेरे बिना जीना तो मैंने अब तक सीखा ही न।।

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4 NOV 2022 AT 13:22

हो ही नही इस काबिल के तुमसे कोई शिकायत की जाएं
इस काबिल भी तुम न बन पाएं के तुमसे कोई शिकायत की जाएं,
प्रीत हटाओ तुम तुमसे मेरी, आज बस दोस्ती की बात की जाएं।
बन पाएं क्या तुम कभी दोस्त मेरे?
या फ़िर सिर्फ दिखावे के दोस्ती यारी की बात की जाएं।
देते रहते हो जो दुःख तुम मुझको,
आदत बन चुकी है तुम्हारी या फिर सोच समझकर दुःख देते रहने की बात की जाएं।
मिल गई थी मेरी दोस्ती तुम्हे कुछ ज्यादा आसानी से,
मुश्किलें जिनके हिस्से आई क्यूं ना उन हिस्सों की बात की जाएं।
समझ न पाएं तुम तो मुझे ही कभी
क्यूं तुमसे फिर इस एकतरफे दोस्ती को समझने की बात की जाएं?
हुई थी जो कहानी शुरू हमारी दोस्ती के साथ,
क्यूं ना अब उस कहानी के अंत की बात की जाएं?

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2 NOV 2022 AT 13:39

स्टेट्स तुम्हारे सेव नही करुंगी
आवाज़ें भी तुम्हारी फोन आने पर अब मैं रिकॉर्ड नही करूंगी।
नाम तुम्हारे अपने कॉन्टेक्ट लिस्ट में मैं
वो प्रेशियस ढक्कन से सेव नही करुंगी
रो ली बहुत तुम्हारे पीछे
अब अपने आसूं मैं तुम्हारे लिए वेस्ट नही करुंगी।
ख़ास थें तुम तुम्हे बहुत बतला दिया
खोना नहीं चाहा तुम्हे कभी ये भी तुम्हे जतला दिया,
बातें अब ये सब मैं तुमसे ताउम्र तमाम नही करुंगी ।
साथ छोड़ गए तुम मेरा मेरे बुरे वक्त में
जेहन से मैं इस बात को अपने कभी नही भूलूंगी।
गलतियां मानने की तुम्हे कहां आदत है
इसलिए गलतियां गिनाकर मैं तुम्हे अब शर्मिंदा भी नही करुंगी।
यकीं बहुत किया था मैंने तुम पर
अब तो खुद पे भी ऐतबार नही करुंगी।
बन जायेंगे दोस्त तुम्हारे कई
पर सच्ची दोस्ती की बात जब भी आएं तो वहां तुम्हे अब मैं नही मिलूंगी।
खुश रहो तुम जहां भी रहो
यही दोस्ती तोड़कर तुमसे, जाते जाते मैं आख़िरी बार विश करूंगी।
हां, अब नहीं बढ़ा पाऊंगी तुम्हारी ओर ये कदम कभी
मुझे हर्ट करने की ये तुम्हारी लास्ट लिमिट है।

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1 NOV 2022 AT 20:03

बहुत पसंद था ये महीना मुझे
अब तो हर महीने एक समान से लगते है।
तुम्हारे जाने के बाद
खुद से ही हम निराश से लगते है।
कभी ये भी हो कि तुम आओ
ऐसे भ्रम से ख़ुद को शांत से रखते है।
बहुत मन करता है खुल कर रोने का
ना जाने क्यूं लोग आसपास एक घेराव सा रखते है।

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30 OCT 2022 AT 16:44

कमी तुम्हारी खल रही है
एक वक्त है जो कट ही नही रही है।
हां माना ये सांसे तुम्हारे बिना चल तो रही है
पर जिंदगी ये जीने की अब जैसे कोई इच्छा ही नहीं है।
लौट आओगी तुम इस दिल को कही न कही ये तो यक़ीन है...
तुम्हें खोने के पहले से कभी ये न बता पाई तू मेरे लिए कितनी अजीज़ है।
नाम पुकार पुकार कर मेरा जो तू घर में किए रहती थी रौनक,
वो रौनक तेरे जाने के बाद किसी और के बुलाने से कभी आया ही नहीं।
नही रहती थी तू तो मेरे बिना एक पल भी
ये दिनों की आदत तूने लगाया ही क्यूं ही??
सुन अब ले चल मुझको भी अपने साथ
तेरे जाने के बाद ये दुनिया मुझे एक पल को भी रास आया ही नहीं।।
~ Tanya Srivastava ~

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8 AUG 2022 AT 1:52

दोस्त हो तुम मेरे
या हो मेरी खुशियों की वजह
इस बात का ज़िक्र मैंने खुद से कभी किया नहीं...
इतना भी तो कोई ख़ास मेरे लिए तुमसे पहले बना नही ..
रोई हूं मैं कितना तुमसे रखी उम्मीदों को एक- एक कर टूटते देखकर,
ये तो मुझे भी पता नही..
पर रोऊं तुम्हारी वजह से मैं इससे बढ़कर खुशी मैंने और कुछ माना नही।
आई तुम्हारे लिए मैं सबके बाद
मेरे लिए तुमसे पहले कोई रहा नही...
जरुरत नही तुम रहे ज़रूरी
इतना कि ये लफ्ज़ों में कह पाना मेरे लिए आसा नही...
ख्याल तुम्हारा रखकर
मैंने ख्याल कभी ख़ुद का रखा नही
तुम्हारी खुशियों से बढ़कर रब से भी तो मैंने कभी कुछ मांगा नही
होती रही बस बात हमारी इसका सिवा मैंने तुमसे कभी कुछ चाहा नही..
लेकीन देखो ना तुमने ये हक़ भी तो तुमने मुझे दिया नही..
न रहूं मैं तुम्हे तुम्हारी अहमियत बताने को आगे
इसलिए इन शब्दों का सहारा एक बार फिर लिए रही
समझ पाओ तो कभी समझ पाओ नही तो फिर से कह देना
लिखी अच्छा है पर समझ आया नही...

_Tanya Srivastava

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