कभी तुम्हारी यह सादगी कभी तुम्हारा यह बांकपन कभी तुम्हारी ये बातें हसीन कभी तुम्हारा यह भोलापन पल-पल मुझे दीवाना बनाते हैं मुझे तुम्हारे और क़रीब लाते हैं
कभी तुम्हारा यह हुस्न कभी तुम्हारी यह अदायें कभी तुम्हारे ये नख़रे कभी तुम्हारी ज़ुल्फ़ों की घटायें पल-पल मुझे दीवाना बनाती हैं मुझे तुम्हारे और क़रीब लाती हैं
कभी तुम्हारा यूँ होना ख़फ़ा कभी तुम्हारा ख़ुद ही मान जाना कभी तुम्हारा दिखना बेनज़ीर कभी तुम्हारा बे-बाक हो जाना पल-पल मुझे दीवाना बनाता है मुझे तुम्हारे और क़रीब लाता है
कभी तुम्हारे गालों की लाली कभी तुम्हारी आँखों की चमक कभी तुम्हारे होठों की हँसी कभी तुम्हारी पायल की खनक पल-पल मुझे दीवाना बनाती है मुझे तुम्हारे और क़रीब लाती है