बहुत बातें करनी है ज़िन्दगी के काम काज में हम इतने व्यस्त हो चुके थे कि वक़्त ही हमसे अलग होता गया..... जब मिलोगे फिर हम याद करेंगे उन पलों को... जिन्हें याद करके आज भी हम उन पलों में खो जाते है फिर तुम गले से लगाना मुझे जैसे पहली बार लगाया था उस दिन बिन बादल बरसात हुई थी..... पंक्षियों के चहचहाने की आवाज आने लगी..... आसपास तितलियां ही तितलियां आ गई ... सूरज केसरिया रंग का हो चुका था...... मानो हमारा मिलन कुदरत ने ही तय किया था..... आज वो दुआ पूरी हुई जो हम दोनों ने मांगी थी....इतनी खुशी महसूस की आज हमने जैसे तीनो लोको ने मिलकर धरती लोक पर जश्न मनाया हो......
वो तो बरसात सी आयी थी हर बूंद में जिंदगी संग लायी थी पर उसका जाना तो तय था, कमबख्त गलती तो हमारी है उसके आने से रोशनी क्या मिली हम उसे सूरज की किरणे समझ बैठे।