ए रहगुज़र ए रहगुज़र,
कैसे कटे तन्हां सफर,
छोड़ा है घर सब हार कर,
चुभती तो है ये घूप पर,
जलता है जो छाला अगर,
किससे कहें किसको ख़बर,
जानिब मेरी चेहरा तो कर,
ए मेहरबां कुछ बात कर।
ए मेहरबाँ कुछ बात कर।
बाद-ए-सबा ए दिलरुबा,
ए मंजरों ए कहकशां,
लिखा है मेरे नाम क्या,
वीरानियाँ या क़ाफ़िला,
किस सिम्त है चलना भला,
दिखता नहीं क्यों रास्ता,
है दूर जो मंज़िल अगर,
ए मेहरबाँ कुछ बात कर।
ए मेहरबाँ कुछ बात कर।
बिखरे हैं सारे ख़्वाब क्यों
उम्मीद क्यों पथराई है,
तपती काली रात क्यों,
क्यों चांदनी मुरझाई है
उठते हैं क्यों ये मरहले,
होती नहीं ग़म की सहर,
ए मेहरबाँ कुछ बात कर।
ए मेहरबाँ कुछ बात कर।
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