✍️✨लड़ाई एवं शांति (战争与和平)✨✍️
............................सलामत कहते हो!
सलामती तो हम उनकी भी चाहते हैं
जो हमारा कट्टर दुश्मन होता है।
वैसे किसी से दुश्मनी मोल लेना पेशा
नहीं है, नहीं तो अनबन होता है।
हमेंशा से लड़ाईयों से पीछा छुड़ाते
आए हैं तभी सफर में शांत हैं अब।
शांति प्रिय है! परमात्मा भी! तो नखरे
गुलाम कर शिखरों में अशांत हैं अब।
क्यों किसी से लड़ना झगड़ना! सुलह
करना भी तो हमें अब आना चाहिए।
सभ्य हैं एवं सभ्यताओं व संस्कारों के
बीच पले हैं तो सही सब जाना चाहिए।
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