गुज़र रही है ज़िन्दगी
या हम गुज़ार रहे हैं, समझ नहीं आता..
वक़्त बदलता है
लोग क्यों बदल जाते हैं,समझ नहीं आता..
रात गुज़र जाएगी तुम्हारी यादों के सहारे
या मैं ही गुज़ार दूंगा, समझ नहीं आता...
हर पल याद आते हो तुम
या मैं याद करता हूं, समझ नहीं आता..
जुदा हो गए हम तुम
जब बिछड़ना ही था ,तो मिले क्यों थे
समझ नहीं आता..
वक़्त की रफ्तार भी तेज़ है , ज़िन्दगी में
हम किस रफ्तार से चले, समझ नहीं आता...!!
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