यह जो मुहब्बत है इसमें रंज भी हैं
मसर्रत भी है,
यह जो मुहब्बत है...
बड़ी मुफ़्लिशी है पऱ इसमें बरक़त भी है
दूरी बहुत है चाँद से
पऱ उससे कुर्बत भी है,
यह जो मुहब्बत है...
इसमें रंज भी हैं मसर्रत भी है,
इक मैदान सा है पर्वत भी है
इक सीधी सी राह में.. करवट सी है,
क्या कहें.. के दिल को जिससे नफ़रत सी है
उसे पाने की कमबख़्त हसरत भी है,
यह जो मुहब्बत है.. इसमें रंज भी हैं
मसर्रत भी है...!
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