सुनो डॉक्टर साहिबा...
तेरी प्यार भरी बातों ने मुझे बहलाया है,
देखो आज मेरी माँ ने फ़िर मुझको समझाया है..
दूर रह उस पागल लड़की से,
न जाने उसने कितने को धुमाया है..
तू प्यार प्यार करके भागता था जिसके पीछे,
न जाने उसने कितनी बार तुझे तरसाया है..
वो प्यार के नाम पे देती है तुझको धोखा,
न जाने उसने कितनी बार तुझे, गैरों संग जलाया है..
बेटा तू जिससे प्यार करता है,
न जाने उसने कितनी बार तुझे तड़पाया है..
दूर रह मेरे बेटे उस लड़की से,
जिसने हर बार प्यार के नाम पे तुझे फंसाया है...!
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