वक़्त बदलता है,बदल जाएगा न सोच, ये बवंडर भी एक इम्तहान है,गुज़र जाएगा न सोच, जो बन गया और जो न बना,खुद हो जाएगा पूरा, तू बस अपने इरादों पे,उसूलों पे चला चल, दुनिया की बातें छोड़,बस किरदार में ढला चल ,,,,,!
ज़रा सोचते हमारे बारे में कि किस हाल में हैं हम ख़ुदगर्जी का आलम तो हद से जियाद: हो गया आप, आप न रहे और हम, हम न रहे परन्तु अभी भी मानवता के सेतु से ग़ुज़र रहे हैं....