सबके साथ हूँ मगर फिर भी तन्हा हूँ,
तन्हाई मे बजता हूँ, ये कैसा नग्मा हूँ.
खुद की तो नहीं, खुद को ही ख़बर,
लोग कहते है मगर, कि मैं अच्छा हूँ.
सच जिसे दुनिया जानती थी कभी,
छूकर देखिये तो मैं वो नहीं दूसरा हूँ.
आज की खबर कल किसे रहे याद,
ज़माने की जुबाँ पे है, वो मै चर्चा हूँ.
मुमकिन हो तो समेट लीजिए कभी,
तुम्हारे आस पास टूटकर बिखरा हूँ.
दिल की ही सुनो, दुनिया की नहीं,
तुम सोचोगे, अब जैसा, मैं वैसा हूँ.
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