अपने पैरों पर खड़े नहीं हो सकते?? बस सहारा मिले तो बढ़ते ही जाते हो क्यों तुम्हें सहारे की जरूरत पड़ जाती है?
सहारे के लिए तुम्हारी आधार बनती हूँ पर जो भी हो देखने वाले को तो इन कोमल पत्तों से ये खंडरों वाला दिवार तो और भी आकर्षक दिखने लग जाता है मानो इन दीवारों को भी अपनी अलग सा खुबसुरती मिल गया हो
किसी के बिछड़ जाने का, वक़्त सबका आता है... अपने आप को दिखाने का, और , जिसे कभी प्यार ही नहीं तुमसे.. उसकी तस्वीर को क्यों सीने से लगाने का..? जो होना ही नहीं चाहता तुम्हारा.. उससे क्यों दिल लगाने का..? जाना चाहता है वो, शौक से जाए.. जाने वाले को अब क्यों रोकने का..?
है गुजारिश तुमसे मान जाओगे क्या मेरी रूह चुराई थी उस रोज अब लौटाओगे क्या चल दी थी मुस्कुराहट तुम्हारे साथ उसे फिर से लबों पे सजाओगे क्या जो काजल बिखरा है उसे मिटा जाओगे क्या आंखों में देख धीमे से मुस्कुरा ओगे क्या एक गुजारिश तुमसे.... करोगे आखरी मुलाकात अपने इस प्यार से या करोगे आजाद मुझे अपने प्यार से