पानी हमेशा शांत बहता था उसे लहर कर दिया
देते हैं दुआ जिसे, उसने दवा को ज़हर कर दिया।
सूरज की किरणें गिरती थी सीधे घर के आंगन में
ऊंची इमारतों ने मेरे छोटे गाँव को शहर कर दिया।
अकेला था भला था, मोहब्बत हुई है जबसे उनसे
नींद गायब है आँखों से, बेचैन हर पहर कर दिया।
शांत था मोहल्ला मेरा, सब रंग सबके घरों में थे
अब भगवा हरा अलग करके सब कहर कर दिया।
बांधे रखती थी एक नदी सभी शहरों को अब तक
बांट कर उसे अब, कस्बों की अलग नहर कर दिया।
ये चाँद साथ रहता था पहले रात भर ही के लिए
अब साथ उठता है मेरे, रात मेरी हर सहर कर दिया।
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