प्रभात हो या रात हो, चाहे जैसे हालात हो
हिमालय की चढ़ाई हो,राहों में कितनी भी कठिनाई हो
बढ़ता चल रुक जाना नहीं
जब तक मंजिल को पाना नहीं
वक़्त ना ख़राब कर, हर पल का हिसाब कर
गलतियों को स्वीकार कर, फिर उसमें तू सुधार कर
बहाने बनाना छोड़ दे, मेहनत कर जी तोड़ के
हिम्मत की चादर ओढ़ के, तुफानों का रुख मोड़ दे
आलस का कर दे त्याग तू,पानी में लगा दे आग तू
खुद में रख विश्वास तू,नित दिन कर अभ्यास तू
असफलताओं से घबराकर न हो निराश तू
हौसलों की उड़ान से छू ले आकाश तू
दृढ़ निश्चय के साथ करता रह प्रयास तू
धैर्य का दामन थामे रह इक दिन लिखेगा इतिहास तू
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