करें शुरू कहाँ से
दिल मे सवाल कई है,
वक़्त तो है मगर
शायद वो हालात नहीं है।
तेरे नाम से हँसी
आज भी लभों पर सजी है,
ये घूमती निगाहें
फिर तेरे चेहरे पर रुकी है।
उसी तरह है सब वही
न मैं नया, ना ही तू नयी है,
साथ का तो क्या
वो आज भी सही है।
मैं भी हूँ और तू भी यही
तो फिर किस बात की कमी है?
कमी है कि -
अब वो एहसास ही नही है।
इन पलकों में दबे
ये जज़्बात कई,
मुलाकातों में कहीं
ये दूरियां छिपी है।
हो बयान ये कैसे?
बचे कोई अल्फाज़ ही नही है।
करें शुरू कहाँ से
दिल मे सवाल कई है।।
सवाल कई है... जवाब नहीं है...
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