किस पैमाने में मापें ग़म बड़ा है किसका?
चोट मुझे भी लगी है, कोई दर्द तुम्हें भी सताता है।
क्यूं तवज्जों दें खामखां किसीको कम-ज्यादा?
कुछ कमियां मुझमें भी हैं, कोई सर्द तुम्हें भी बताता है।
वक्त-बेवक्त कोई आईना चटक-चटक कर,
कई चेहरे हैं मेरे भी, रू-ए-ज़र्द तुम्हें भी जताता है।
-