अनदेखी अंजनी चीजों से डराएंगे।
अपनी कामयाबी के सवाल पे वो दूसरो के ऐब गिनाएंगे ।
तुम आसमान पूछोगे वो जमीन दिखाएंगे
अपनी जिम्मेदारी के वक्त वो बहानों की शॉल ओढ़ आएंगे।
है जितनी भी नकामिया उनकी, झूठी तशदीको से छुपाएंगे।
है खून उनका पेशा, नफरत के ढोल वो बजाएंगे
तुम्हारी गुरबत पे वो अपनी कामयाबी की धुन बनाएंगे।
लूटेंगे वोही, वोही तुम्हे बाटेंगे
चोरी कर के भी राजा वोही कहलाएंगे।
अपने मेहलो में रोटी तोड़ कर बेईमानी की वो,
तिल तिल के लिए लाइन में तुम्हे लगाएंगे।
वो जाएंगे लंदन, अमरीका तुम्हारे बच्चो को धूप में जलाएंगे।
जब गूंजने लगेंगे सवालों के नारे, जब जवाब उनकी सोच से बोझल हों जाएंगे।
वो राम राम, अल्लाह चिल्ला कर तुम्हे मज़हब की भांग पिलाएंगे ।
तुम खड़े रह जाओगे मंदिर, मस्जिद के जीनों पे,
वो मौका मिलते ही हवाई जहाज़ में उड़ जाएंगे।
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