अब बोझ उठता नही है शरीर का,
रास्ते मे सोता है बच्चा फ़क़ीर का!!
हाथ फैलाए वो भीख माँगता है,
कोई कुछ भी न देगा वो जानता है!!
हार गया है वो भीख माँगकर,
"झूल गया" वो खुद को टाँगकर!!
देश विकास में बढ़ता जा रहा है,
दिन-ब-दिन गरीब मरता जा रहा है!!
कैसा विकास है ये जो खुद पर अड़ा है,
नेता अपने जेब भरने के लिए खड़ा है!!
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