माँ जैसा कोई मिला ही नहीं।
जिसने सब कुछ दिया और कुछ लिया नहीं॥
गम को अपने अंदर छुपाए रखती है,
होंठों पे मुस्कान बनाए रखती है।
मेरे गम मे रोती मेरी खुशियों मे हँसती है,
सारे जहाँ से प्यारी वो लगती है॥
उसके हाथ के खाने का स्वाद कहीं मिला नही।
सच माँ जैसा कोई मिला नही॥
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