कुछ इस तरह मैं उसकी बंदगी किया करता हूँ,
उसके बनाए इंसानो से इश्क़ किया करता हूँ।
हो जाती है गलती ना चाहते हुए भी,
गुनाहों की माफ़ी मांग लिया करता हूँ।
लेन देन का व्यापार है दुनियादारी तो,
खुशी दे खुशियाँ बटोर लिया करता हूँ।
ना गीता पढ़ी है ना कुरान,
खुश रहने को रोज़ मगर, ज़िन्दगी पढ़ लिया करता हूँ।।
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