जिस्म बिका , ईमान बिका, बिक गया इंसान है
मस्जिद बंटा ,मंदिर बंटा ,बंट गया हिंदुस्तान है
अपनो का ही खून बहाए वो कैसा जवान है ?
देश के लाल को मार गिराया ,क्या यही इंसान है?
जात पात में फर्क करे है,तो ये कैसा तूफान है
अपने आवाम का जो दर्द न जाने,कैसा ये सुलतान है
रोज मरे है बेकसूर ,खाने को न कुछ घर में समान है
क्वांटल पूजा को दूध बहाए ,नालियों से पिए नन्हीं जान है
सच झूठ से दब गया, यहां झूठों की पहचान है
नसल दर नसल बर्बाद हो रही, गले में अटकी जान है
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