जबसे है तुमको देखा, इस दिल को करार आया
होंठो पे गुफ्तगू है, आंखों में तेरा साया
मेरे ईश्क की इंतहा, मेहदूद है तुम्हीं तक
तुम ही मेरे आसमां हो, इसकी हद है जमीं तक
तिशनालब हो के रही हूं, तेरा ही अक्स भाया
होंठो पे गुफ्तगू है, आंखों में तेरा साया
तेरी खुदी का जानां , हमसे भी आशना हो
कि चिराग जल रहा हो, रौशन भी समां हो
ये दिल भी जल रहा हो,जलने का रुत है आया
होंठो पे गुफ्तगू है , आंखों में तेरा साया
मेरी सांस थम रही है, मुझे तेरी ही कमी है
सीने में चुभन है , आंखों में भी नमी है
लबरेज़ हूं गमों से, गम में भी कुछ न खाया
होंठो पे गुफ्तगू है, आंखों में तेरा साया
इन ईश्क की वादियों में, हम भी खो चुके है
तुम्हें भूलने के डर से , सौ बार रो चुके है
जद ए इश्क पर रहे हम, सुकून भी लुटाया
तब जा के उल्फतों में, मैंने मरहला है पाया
नर्गिस सिसक सिसक कर, क्यों इतना रो रही है
खुद ही में जल रही है , पलकें भिगो रही है
कि होश खो चुके है, इस दिल को है गवाया
होंठो पे गुफ्तगू है, आंखों में तेरा साया
Nargis Khatoon/-
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