यादों पे कब्जा करती हो
दिल में तुम बैठी रहती हो,
आंखों के सामने छाई हो
तुम कौन दिशा से तुम आई हो,
अब हमें न होश ठिकाना है
जीवन का लक्ष्य बस तुम्हे पाना है,
तुम सा अच्छा कोई लगता ही नहीं
तुमसे इतर कुछ दिखता ही नहीं,
तुम्हारे लिए ही दिन रात एक किये हैं
नींद भगाने को बार बार चाय पिये हैं,
नहीं कर पाते तुम्हें हम नजरों से दूर
कुछ अलग सा ही है तुम्हारा फितूर,
किस्मत का ठिकाना नहीं जगेगी कब,
ऐ नौकरी तू मिलेगी कब!!
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