221 2121 1221 212
ऑंखें छुपा न पाई मेरे दिल के ज़ख्म को,
कुछ इस क़दर दिल उससे मेरा सोगवार था।-
मुक़द्दर से बढ़ कर मिला कुछ नहीं है,
मुझे ज़िंदगी से गिला कुछ नहीं है।।
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2122 1122 1122 22
जीस्त से आप भी बेज़ार नज़र आते हैं,
चंद खुशियों के तलबगार नज़र आते हैं।-
212 212 212 212
बात दिल की दिलों में दबी रह गई,
देख कर साँस उनको थमी रह गई।-
वो वादा रोज़ करते हैं मगर मिलते नहीं मुझसे,
कभी मैं घर कभी ख़ुद को सलीके से सजाती हूँ।-
2122 1122 1122 22/112
ज़िक्र उनका न करो वक़्त अभी शाम का है,
मैं जो बहका तो कहेंगे न किसी काम का है।-
2122 1122 1122 22
बात करती नहीं मैं अब कभी रुसवाई की,
याद आ जाती है मुझको उसी हरजाई की।-
मिलेंगें दोस्त सफ़र में कई नए तुमको,
हमारी दोस्ती को तुम गुमान में रखना ।
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1212 1122. 1212 22
पुराने इश्क़ को अपने बयान में रखना,
हमें भी याद किसी दास्तान में रखना ।-
मुहब्बत से बिछड़ के गर्दिश ए अय्याम आता है,
जिन्हें चाहा कभी लब पे उन्हीं का नाम आता है।
तुम्हारी ही सिताइश दिल हमारा करता है दिलबर,
कोई इसके सिवा दिल को नहीं अब काम आता है ।
है धड़कन एक अपनी एक ही अब ज़िंदगानी है,
हमारे नाम में ही अब तुम्हारा नाम आता है ।
मुहब्बत हो नहीं सकती यही कहते जो रहते हो,
हमारा दिल दुखा के क्या तुम्हें आराम आता है।
मिलेगा दर्द ही मीना मुहब्बत करके दुनिया में,
ग़मों की मय-कशी में तो ग़मों का जाम आता है।
* गर्दिश-ए-अय्याम= मुसीबत और दुःख का ज़माना
*सिताइश =तारीफ़
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मुहब्बत जब तुम्हारी मुझको यूँ आवाज़ देती है,
दबे जज़्बात को ये खुल के तब परवाज़ देती है।
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