हा मन में था एक ही सवाल,क्या इन पर्वतों पर भी होता है?
अकेलापन सवार।
और ऊंचाइयां जो छुई है,क्या तुम्हे भी कोई बात छुई है।
बता दो मुझे अभी के अभी,देर ना हो जाए फिर कही।
और नीचे के नजारे तुमसे ही दिखते है,
हा जो गिरे हो तुम,मुझे वो नजारे भी देखने है।
हा मै वो नहीं जो सिर्फ तुम्हे देखे,पैसा बहाकर सिर्फ तुम्हे देखे।
हा मुझे करनी है बातें कई,जो तुमने शायद किसी से नहीं कही।
शायद ये राज़ तुम एक राज़ ही रखो,मै हूं तुम्हारी बस इतना याद रखो।
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