तेरी नूरानी हँसी खिलखिलाती देख ,
हर मौसम-ए-शाम दीवानी बन जाए!
जहाँ जाए बस तेरा ही जिक्र हो तू ,
लखनऊ की ऐसी तहजीब बन जाए!
दीवाली की तू पूजा और जो हर किसी के,
मन को भाए ऐसा तू ईद का चाँद बन जाए!
मुकम्मल हो तेरी हर ख्वाहिश जो कभी,
कोई भूल ना सके ऐसा तू इतिहास बन जाए!
तेरे अल्फाजों का तिलिस्म हर कहीं मशहूर हो,
जो हर कलम रोक दे ऐसी तू कलम बन जाए!
रूमी दरवाजा जैसी खूबसूरती और अम्बेडकर पार्क,
जैसा सुकून ऐसे ही तू पूरा लखनऊ शहर बन जाए!
__ satyam tiwari
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