Akhilesh Rathour Poetry   (अखिलेश राठौर लखनवी)
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Official Writer
Yq hastag #अखिलेशराठौरलखनवी
Whatsapp:-9120975880
Joined 6 May 2018


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Yq hastag #अखिलेशराठौरलखनवी
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15 APR 2021 AT 22:11

कौन बचा है अपना शहर में, रोकर एक बच्चा बताना भूल गया,
लौट ना पाया परिंदा भी वापस, चितायें देख आशियाना भूल गया,

इस तरह से फैला है जहर हवाओं में,
मेरा लखनऊ मुस्कुराना भूल गया
😐

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5 APR 2019 AT 18:12

बड़ा गुरूर था खुद पर
एक गलती ने तोड़ दिया

बड़ा यकीन था उस पर
उस लड़की ने छोड़ दिया

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30 MAY 2021 AT 15:16

जिसे हारकर भी हारने को दिल ना करें

उसे जीतकर भी तन्हा छोड़ आया हूँ

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11 MAY 2021 AT 23:11

ख्वाब टूट जातें है

मंजिलों का मतलब नहीं बचता
जब अपनों के साथ छूट जातें है

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5 MAY 2021 AT 10:53

जहाँ तुम नहीं






जो तुझ तक ना जाये

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5 MAY 2021 AT 3:45

सीसा भी गलत बता सकता है

मगर ये अकेली रातें, सिर्फ सच बोलती है

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24 APR 2021 AT 23:06

दुनिया बहोत बड़ी है
और हम छोटे छोटे लोग

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24 APR 2021 AT 21:25

जहाँ जहाँ देखा वहां वहां नजर आये
जो टूट कर बिखरे फिर वो कहाँ नजर आये

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23 APR 2021 AT 11:28

कौन सी की थी तुमने जो बात सही नहीं
साथी पुराने साथ है मगर वो बात रही नहीं

यें खुला आसमा वीरान लगता है मुझे
तेरे दिल के पिंजरे सी बात कहीं नहीं

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23 APR 2021 AT 11:09

मैंने माँगा था तुम्हे दिन से
मैंने माँगा था तुम्हे रात से
मैंने माँगा था तुम्हे सूरज से
मैंने माँगा था तुम्हे चाँद से

मैंने माँगा था तुम्हे बागों से
मैंने माँगा था तुम्हे फूलों से
मैंने माँगा था तुम्हें आसमा से
मैंने माँगा था तुम्हे जमीं से

मैंने माँगा था तुम्हे हवाओं से
मैंने माँगा था तुम्हे खुश्बूओं से
मैंने माँगा था तुम्हे रेत से
मैंने माँगा था तुम्हे परछाई से

मैंने माँगा था तुम्हे तारों से
मैंने माँगा था तुम्हे जुगनूओं से
मैंने माँगा था तुम्हे दर्द से
मैंने माँगा था तुम्हे सर्द से

मैंने माँगा था तुम्हे रब से
मैंने माँगा था तुम्हे खुदा से
मैंने माँगा था तुम्हे तितलियों से
मैंने माँगा था तुम्हे पत्तियों से

मैंने माँगा था तुम्हे दिल से
मैंने माँगा था तुम्हें जहाँ से
मैंने माँगा था तुम्हें इश्क़ से
मैंने माँगा था तुम्हें राम से
फिर तुम क्यों किसी और को बिन मांगे मिल गयी

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