बोलते रहो रवीश
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रवीश, तुम बोलते रहो
तुम बोलते रहो रवीश
सिर्फ प्राइम टाइम में ही नही रवीश
केवल 9 से 10 नही, 10 से 11 भी बोलो, 11 से 12 भी बोलो तुम
सिर्फ NDTV पर ही नही रविश, तुम सारे TV पर बोलो
अगर TV फूट जाए तो तुम रेडियो पर बोलो
अगर रेडियो टूट जाये तो तुम चढ़ जाओ किसी ऊंचे मीनार पर और वहीं से बोलो
अगर वो मीनार ढह जाए तो तुम शहर के किसी चौराहे से बोलो
लेकिन तुम बोलते रहो रवीश
कोई न सुने फिर भी तुम बोलो
आदमी से नही तो तुम सड़क पर चल रहे कुत्तों से बोलो
तुम्हारे बोलने से फटती है किसी कमीज तो फट जाए
कोई हो जाता है नंगा तुम्हारे बोलने से तो हो जाये
गोली चले चाहे तोप, सुनामी आये या बवंडर
तुम बोलते रहो रवीश
तुम इतना बोलो रवीश कि बिजली नही तुम्हारी आवाज़ से चले वेंटीलेटर
इतना बोलो तुम कि तुम्हारी आवाज़ से भर जाएं
सारे ऑक्सीजन सिलिंडर
इतना बोलो तुम कि तुम्हारी आवाज़ ही बन जाए रेमडेसेवीयर
इतना बोलो तुम कि बोल कर पिघला दो संसद में लगा ताला
इतना बोलो तुम कि बोल कर बढा दो गंगा की चौड़ाई
ताकि उसमे विश्राम कर सकें हमसे दूर जा रहे सारे लोग
रवीश, तुम बोलते रहो, तुम बोलते रहो रवीश
तुम्हे सुन रहे हैं हम और लग रहा है कि बोल रहे हैं हम
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