QUOTES ON #JOURNALISM

#journalism quotes

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25 AUG 2020 AT 18:46

अच्छे थे बदनाम निकले, बदनाम अच्छा हो गया
देखो तसव्वुर लिखने वाला शायर सच्चा हो गया,

जिनका काम था हर हालत में सदाक़त लिखना
वह टीवी, वह अख़बार ईमान का कच्चा हो गया!

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21 APR 2018 AT 17:03

बहुमत का रंग कुछ यूँ चढ़ा कि,
यथार्थवादी भी कहानीकार हो गए

कभी खरी-खरी कहा करते थे जो
आज पत्रकार से चाटुकार हो गए!

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25 JUN 2020 AT 10:06

अजब से अज़ीब हो गयी।
दस्तूर "मन की बात" करने की थी।
फ़र्ज़ी अफ़वाहो की Sharing में चूर हो गयी।
जो Social था वो Vocal हो गया और Media
अपनी integrity से कहीं दुर हो गयी।

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29 FEB 2020 AT 21:49

हमें बेखबर ही रहने दो, बस मोहब्बत की करार दो
अंजान हूँ जिस खबर से उसे राज़ ही रहने दो

तुमसे खबर सुनने से बेहतर हैं कि मैं खुद ही तलाश लूँ
शायद असलियत से रूबरू हो जाऊँ या वहाँ भी तुम्हें ही मान लूँ

कुछ कह नहीं सकते शायद तुम भी सहमें से हो
शायद पछतावा हो तुम्हें पर बरबादी का अंदाज़ा ही ना हो

और कुछ ना सही तो काश हमारी सवाल की तुम जुबान बनो
बेशक तुम खौफ़ की परछाई में हो पर एक बार तुम बेखौफ किरदार बनो

शायद कुरबान होना पड़े तुम्हें, पर तुम्हीं सच्चाई दिखा सकते हो
बेशक दुआ कुबूल होगी हमारी, तुझपर खुदा भी महरबान हो

काश ख्वाब से हमें असल में मुलाकात हो
जरा पूछूँ उससे, क्या तुम सच में इतने बेखौफ हो

या शायद ख्वाब भी हमें इशारा देता हो
अब दिलेर होने का पैगाम देता हो

खौफ़ से अच्छा मौत को गले लगाने कहता हो
या नागरिक होने का हमसे अस्तित्व पूछता हो।

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30 MAY 2019 AT 10:17

30 मई
हिन्दी पत्रकारिता दिवस
पर
अंग्रेजी कल्चर में नहाये
सभी पत्रकारों को
उर्दू में
मुबारकबाद देता हूँ

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31 MAY 2018 AT 0:15

मैं क़तरा क़तरा नोचूँगा तुम्हे
पर मेरा वादा है तुम्हे मरने न दूंगा

चीखों को समेट भी लूँगा चलचित्रों में
दर्द की ताक़ीद को भी बढ़ाऊंगा
पर मेरा वादा है तुम्हे मरने न दूँगा

कभी रंग में कभी भस्म की स्याही में उकेरूँगा
पर मेरा वादा है तुम्हे मरने न दूँगा

ज़मीर के ज़नाज़े पर संवेदना के फूल भी चढ़ाऊंगा
पर मेरा वादा है तुम्हे मरने न दूँगा

" उदन्त " बिकेगा ख़रीद फ़रोख़्त में बोली लगवाऊंगा
पर हाँ मेरा वादा है तुम्हे मरने न दूँगा ।।

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बोलते रहो रवीश
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रवीश, तुम बोलते रहो
तुम बोलते रहो रवीश
सिर्फ प्राइम टाइम में ही नही रवीश
केवल 9 से 10 नही, 10 से 11 भी बोलो, 11 से 12 भी बोलो तुम
सिर्फ NDTV पर ही नही रविश, तुम सारे TV पर बोलो
अगर TV फूट जाए तो तुम रेडियो पर बोलो
अगर रेडियो टूट जाये तो तुम चढ़ जाओ किसी ऊंचे मीनार पर और वहीं से बोलो
अगर वो मीनार ढह जाए तो तुम शहर के किसी चौराहे से बोलो
लेकिन तुम बोलते रहो रवीश
कोई न सुने फिर भी तुम बोलो
आदमी से नही तो तुम सड़क पर चल रहे कुत्तों से बोलो
तुम्हारे बोलने से फटती है किसी कमीज तो फट जाए
कोई हो जाता है नंगा तुम्हारे बोलने से तो हो जाये
गोली चले चाहे तोप, सुनामी आये या बवंडर
तुम बोलते रहो रवीश
तुम इतना बोलो रवीश कि बिजली नही तुम्हारी आवाज़ से चले वेंटीलेटर
इतना बोलो तुम कि तुम्हारी आवाज़ से भर जाएं
सारे ऑक्सीजन सिलिंडर
इतना बोलो तुम कि तुम्हारी आवाज़ ही बन जाए रेमडेसेवीयर
इतना बोलो तुम कि बोल कर पिघला दो संसद में लगा ताला
इतना बोलो तुम कि बोल कर बढा दो गंगा की चौड़ाई
ताकि उसमे विश्राम कर सकें हमसे दूर जा रहे सारे लोग
रवीश, तुम बोलते रहो, तुम बोलते रहो रवीश
तुम्हे सुन रहे हैं हम और लग रहा है कि बोल रहे हैं हम

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3 MAY 2021 AT 12:41

धारा के साथ तो मुर्दे बहते हैं।
ज़िंदा धारा के विपरीत तैरते हैं।

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26 MAR 2021 AT 17:09

One sided love in 2021.

If I'm the economy then are you the government? Because I'm crying and you don't care.

If I am real news then are you media? Because you don't care if I exist.

If I'm ripped jeans then are you an NGO? Because apparently you're way out of my league.

Boy, are you the pollution index? 'cause you're high all the time and I always end up falling into toxic relationships.

If I'm coronavius then are you public? Because you keep ignoring me even though I follow you on every street.

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30 MAY 2020 AT 13:40

कभी धनी पहरों में कभी सरकारी चेहरों में
किसी अख़बार के जैसे हम रोज निकले शहरों में
खुश हैं, मगर बेचैन, सच को बाजारों में बेचकर
आज ही हो जाए खालिस दुआओं में असर
लहराए तिरंगा हर छत, हर गली, हर शहर

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