आपके सिर्फ मौजूदगी में भी कितनी ताकत थी।
लम्बे वक्त से दर्द था, खामोशी थी,
पर फिर भी एक फिक्र की डोर जो बाँधे थी।
वो उम्र भर की मोहब्बत,
जो आपके खामोशी में भी आपके अल्फाज पढ़ लिया करती थी।
वो भी अब खामोश हैं,
बस बटोर रहीं आपके सारे गुज़रे यादों को
आपका हरेक आलम, आपकी मोहब्बत हमेशा से आबाद हैं।
चाहे वो किसी भी रूप में हो,
बस अब वही गुजरी यादें हैं, जो हमारे साथ ठहरी हैं।
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