और वहीं कहीं मै ठहरी,
तुम गुम हो
और वहीं कहीं मै ढूंढ़ रही,
तुम चुप हो
और वहीं कहीं मेरी आवाज़ गूंज रही,
तुम मेरे करीब हो
और वहीं कहीं मै खुदको तुम में ढूंढ़ रही,
तुम्हे फुरसत नहीं ज़िन्दगी की दौर से
और मुझे फुरसत नहीं तेरे ख्यालों के शौख से,
तुझे चाहत नहीं मेरी,
और मुझे चाहत होकर भी अब खबर नहीं तेरी।
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