हार जीत बस में नहीं मुंह को लिए फुलाय
गुस्से पर काबू नहीं जब सबसे लड़ता जाय
जीवन के सब मार्ग पर सीख नई मिल जाय
हाँथ बढ़ाकर साथ चले अपनाते सबको जाय
ईर्ष्या से ही वो भरा हुआ है देख तरक्की भाय
बिना वजह कड़वाहट मन की उसने दी दिखाय
जगह जगह पर किए प्रयास हैं तुमको देख गिराय
तुम जो नहीं गिरे कहीं पर खुद ही वो जल भुन जाय
ये तो जैसे नियम बन गया एक दूजे को देख जल जाय
करो तरक्की बनाओ दुश्मन आपस का है प्रेम मिट जाय
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