आंखों में नूर, रुख़सारों पे तबस्सुम हर पहर है
दिल में हमारे आपकी सोहबत का जब से असर है
शख्सियत उनकी शुकर, वफ़ादारी और सबर है
दोस्त ऐसा, दोस्ती निभाना जिनको बखूबी ख़बर है
मान लो कि दुनिया ये सारी एक घटादार शजर है
तो फ़िर उस शजर का ये सब से शीरीं समर है
खूबसूरत ज़ुबाँ औ दिल, चेहरा चौधवीं का क़मर है
उर्दू हो या हिन्दी, इनकी क़लम हूबहू चमकता बदर है
जिनके मरासिम काफ़िया, रदीफ़ औ मुक़म्मल बहर है
अमर-उजाला हो या सहित्यसुधा, इनका पर्चा अमर है
दोस्ती की मिसाल हैं, मुझ पे मेहरबानी इस क़दर है
बेख़बर मैं, मेरी हर मुश्किल का हल इनको ख़बर है
रौशन ख़यालात इनके ऐसे, कि तजल्लियों का घर है
बिल्कुल अपने तखल्लुस सी शख़्सियत 'ऋचा सहर' है
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